Tuesday , October 22 2024
Breaking News

हरियाणा में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव पार्टी में बने रहेंगे

हरियाणा
हरियाणा में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बुरी तरह अपनी पार्टी को कोस रहे हैं, जिन्होंने पिछले दिनों अचानक सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे का ऐलान कर हार की हैट्रिक लगने के बाद सदमे से गुजर रही कांग्रेस को जबरदस्त झटका दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने सीधे हाईकमान को निशाने पर लेते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी तक को घेर लिया। हालांकि उनकी ये नाराजगी दो दिन से ज्यादा नहीं चली और उन्होंने यू टर्न लेते हुए कहा कि वह जन्मजात कांग्रेसी हैं और जब तक उनकी सांस चलेगी तब तक वो कांग्रेसी ही रहेंगे।

बेटे की करारी हार ने सब्र का बांध तोड़ा
कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और कांग्रेस छोड़ कर जा चुकीं किरण चौधरी की तरह कैप्टन अजय सिंह यादव को भी हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोधी खेमे में गिना जाता है। यादव भी हरियाणा कांग्रेस पर हुड्डा के एक तरफा नियंत्रण की कड़ी मुखालफत करते रहे हैं। 2019 में राव इंद्रजीत सिंह से लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद कैप्टन इस बार उनसे दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हुड्डा के कारण टिकट उनके बजाय राज बब्बर को मिल गया, जिसको लेकर वो बेहद नाराज रहे। उनके सब्र का बांध तब टूट गया, जब इस विधानसभा चुनाव में उनके बेटे चिरंजीव राव को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। 2019 में बेहद करीबी अंतर से चुनाव जीतने वाले राव करीब 29 हजार के अंतर से बीजेपी उम्मीदवार लक्ष्मण यादव से चुनाव हार गए। इस सीट से 1991 से लेकर 2014 तक लगातार छह बार कैप्टन अजय यादव चुनाव जीतते आ रहे हैं। लिहाजा गढ़ के हाथ से निकल जाने के बाद कैप्टन का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने आलाकमान से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक को सुना डाला।

वहीं अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में हाईकमान को निशाने पर लेते हुए कैप्टन यादव लिखते हैं कि मैं आत्मसम्मान में विश्वास करता हूं क्योंकि किसी पद पर बने रहना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आप बिना किसी बाधा के पार्टी के लिए कितना कुछ कर सकते हैं। मैं 1988 में कांग्रेस में शामिल हुआ था, जब पार्टी नेताओं के साथ उचित बातचीत होती थी जो स्वर्गीय राजीव गांधी और यहां तक कि सोनिया गांधी तक चलती रही, लेकिन हाल ही में राहुल गांधी जी के इर्द-गिर्द चापलूसों के एक गुट ने घेरा बना लिया है, जिसके कारण वरिष्ठ नेताओं सहित पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनसे दूरी बना ली है।

कैप्टन अजय यादव ने जहां एक तरफ कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, वहीं दूसरी तरफ उनके बेटे चिरंजीव राव ने पिता के फैसले पर आश्चर्य जताते हुए स्पष्ट कर दिया कि वो पार्टी से दूर कहीं नहीं जा रहे। ऐसे में माना जा रहा है कि कैप्टन के यू टर्न के पीछे उनके बेटे राव का भी बड़ा हाथ है, जिसका उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में जिक्र भी किया है, कैप्टन यादव लिखते हैं। मैं जन्म से ही कांग्रेसी हूं और अपनी आखिरी सांस तक कांग्रेसी ही रहूंगा। मैं इस बात से दुखी था कि OBC विभाग के लिए की गई मेरी मेहनत को हाईकमान द्वारा सराहा नहीं जा रहा था और कुछ कठोर शब्दों ने मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया, लेकिन मैंने ठंडे दिमाग से कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का फैसला किया, खासकर मेरी मार्गदर्शक और नेता सोनिया गांधी जी को। मेरे बेटे चिरंजीव ने मुझे अतीत को भूलने के लिए प्रेरित किया।

हालांकि कैप्टन के कांग्रेस से इस्तीफा देते ही सियासी हलकों में उनके बीजेपी में जाने के कयास लगने लगे थे। बताया जाने लगा कि कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा की सीट से उन्हें संसद पहुंचाने की डील भी हो गई है। सियासी जानकारों का मानना था कि दरअसल, राव नरबीर सिंह के बाद कैप्टन अजय यादव को अपने साथ लाकर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को नियंत्रित करना चाहती है, ये तीनों परिवार अहीरवाल बेल्ट की राजनीति की धूरी माने जाते हैं। राव नरबीर और कैप्टन को इंद्रजीत सिंह का मुखर विरोधी माना जाता है।

About rishi pandit

Check Also

अब MP में अखिलेश यादव ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, उतारा उम्मीदवार, क्या है सीटों का समीकरण?

भोपाल मध्य प्रदेश में विजयपुर-बुधनी विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर दोनों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *