इछावर। भूतों का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों के सिर से पसीना टपकना और चेहरे पर खौफ छाना कोई नई बात नहीं है। अगर यही भूत सामने आए तो क्या स्थिति बनेगी, आप समझ सकते हैं। हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भूत और जनता का सीधा आमना-सामना होता है। भूतों से आमना-सामना होने के दौरान लोग उनसे बातें तक करते हैं। कई बार यह भूत जनता से मिठाई और खाने के लिए पान तक मांगते हैं। उस दौरान लोग भूतों को अपनी समस्या भी बताते हैं।
दरअसल, तहसील मुख्यालय इछावर से 25 किलोमीटर दूर कालियादेव गांव है। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि यहां भूतों का मेला लगता है। सुनने में भले आश्चर्य हो, लेकिन यह बात सत्य है। हर भूतड़ी अमावस्या पर इसकी हकीकत देखी जा सकती है। भूतों का मेला इस तरह से लगता है कि उसे देखने के लिए कई जगह से लोग पहुंचते हैं। यहां मौजूद मंदिर में जिसकी मुराद पूरी होती, वह पूजा अर्चना कर चढ़ावा चढ़ाने के लिए आते हैं। इससे आए दिन चहल पहल देखी जा सकती है।
सीप नदी के किनारे है कालियादेव
इछावर तहसील के ग्राम नादान के पास सागौन के घने जंगलों में कालिया देव नामक स्थान है। यहां से निकली सीप नदी पर कालिया देव का झरना है। यहां हर वर्ष पितृ मोक्ष अमावस्या पर रात्रि में मेला लगता है। झरने के पास ही एक छोटा मंदिर है। मंदिर में मां काली, भगवान हनुमान सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा विराजित है। कालिया देव मंदिर के नीचे एक गहरा कुंड है, जिसमें सीप नदी का पानी गिरता है। इस गहरे कुंड को यहां के जनजातीय बंधु पाताल लोक का रास्ता भी कहते हैं। यहां कई ऐसे स्थल हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरे हैं।
भूतड़ी अमावस्या पर इस क्षेत्र के जनजातीय समुदाय के महिला, पुरुष, बच्चे बड़ी संख्या में शाम को पहुंचने लगते हैं। सीप नदी में कालियादेव की पूजा अर्चना करते हैं। यहां रात्रि में विशाल मेला लगता है। इस मेले में एक लाख से अधिक लोग आते हैं। लोगों ने बताया कि जिन लोगों के शरीर में भूत वगैरह आता है या फिर अन्य समस्या है तो स्नान कर मंदिर में पूजा पाठ करने के बाद ठीक होने की अधिकांश संभावना रहती है। यही कारण है कि अमावस्या के साथ पूर्णिमा पर भी श्रद्धालु आस्था के साथ पूजा अर्चना करने आते हैं।
गांव की खासियत
कृषि प्रधान गांव माना जाता है, किसान खेती में ही हर साल जी जोड़ मेहनत कर अच्छा उत्पादन लेकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। कई किसान खेती में ही संपन्न बन गए और स्वयं के साधन खरीदने के साथ पक्के मकान बना लिए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि कालियादेव सबसे छोटा गांव है, फिर भी कई लोग अच्छा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी में लग गए हैं। वह अच्छे पदों पर काबिज होकर गांव को गौरान्वित कर रहे हैं।