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राजस्थान-दौसा में दलदली रास्ते से श्मशान तक पहुंची शव यात्रा, रास्ते पर दबंगों का कब्जा

दौसा.

दौसा जिले की लवाण तहसील के गिरधरपुरा गांव में एक हृदय विदारक घटना सामने आई। यहां 36 वर्षीय पायलट खारवाल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया और अंतिम संस्कार के लिए ले जाते वक्त मृतक के परिजनों को ढाई फीट गहरे पानी और कीकर-बबूल के बीच से होकर गुजरना पड़ा, क्योंकि यहां दबंगों का राज चल रहा है। सरपंच मजबूर हैं और प्रशासन बेबस। जवान बेटे की मौत का सदमा और ऊपर से अंतिम संस्कार के लिए इतनी जद्दोजहद ने परिवार को तोड़कर रख दिया।

गिरधरपुरा गांव के श्मशान जाने वाले रास्ते पर दबंगों ने अस्थायी कब्जा कर रखा है, जिससे रास्ता बेहद संकरा हो गया है। भारी बारिश के कारण इस संकरे रास्ते पर ढाई फीट तक पानी भर गया, जिससे अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने में भारी कठिनाई हुई। परिजनों को मजबूरन शव को कीकर और बबूल के बीच से होते हुए, पानी भरे रास्ते से श्मशान तक ले जाना पड़ा।

सरपंच और प्रशासन की खामी
गांव के सरपंच ने इस समस्या पर असहजता जताते हुए कहा कि "मैं मजबूर हूं, चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा हूं। प्रशासनिक व्यवस्था के कारण यह स्थिति बनी है और हम कुछ नहीं कर सकते।" पंचायत और जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से श्मशान जाने का रास्ता अब लगभग बंद हो चुका है, जिससे गांव वालों को अंतिम संस्कार के लिए भी भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। बता दें कि लंबी बीमारी के चलते सोमवार सुबह पायलट की मौत के बाद उसके परिवारजन जवान बेटे की मौत से सदमे में हैं। पायलट के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी भी और शव को मृतक के परिजन और सगे संबंधियों ने बामुश्किल से अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचाया। दौसा जिले का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी कई मामले ऐसे आ चुके हैं, जहां कहीं अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को रास्ता नहीं तो कहीं रास्तों में पानी भरा है, लेकिन यहां हालात उससे भी ज्यादा खराब हैं, जो रास्ता था दबंगों के कब्जों के कारण रोक दिया गया।

मेरे पास वित्तीय पावर नहीं
इधर, इस सारे मामले में जिम्मेदार कंवरपुरा पंचायत के सरपंच विजय बैरवा ने मृतक के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विकास नहीं होने के पीछे मेरी मजबूरी है। मैं अपनी ग्राम पंचायत कंवरपुरा अभी तक किसी भी तरीके के विकास कार्य नहीं करवा पाया, क्योंकि मेरे पास वित्तीय पावर नहीं हैं। सरपंच विजय बैरवा ने आगे बताया कि जिन कारणों का हवाला देते हुए गहलोत सरकार के समय तत्कालीन जिला कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने मेरी एसएसओ आईडी बंद की गई। आज तक भी वह आईडी बंद पड़ी हुई है, जबकि राज बदल गया, लेकिन यह रिवाज अभी तक नहीं बदला।

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