जमशेदपुर.
सेना और सीआरपीएफ जवानों के आई कार्ड की क्लोनिंग कर लोगों से साइबर ठगी की जा रही है। इस साल अब तक सिर्फ झारखंड के जमशेदपुर में ही 54 लोगों से 18 लाख तक की ठगी की जा चुकी है। पूरे राज्य में ऐसे सौ से ज्यादा मामलों की सीआईडी जांच करेगी, जिसमें सेना या सीआरपीएफ के किसी जवान के आईकार्ड का इस्तेमाल किया गया। दूसरे राज्यों में भी ठग यह तरीका अपनाते हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजस्थान के भरतपुर का साइबर ठग गिरोह अपने किसी माध्यम से सेना या फिर अन्य अर्द्ध सैनिक बल के जवानों के आईकार्ड की फोटो हासिल कर लेता है और उसके बाद उसकी क्लोनिंग कर ठगी की जाती है। यही गिरोह रिटायर सेना के जवान की आईडी का भी ठगी में इस्तेमाल करता है। जमशेदपुर एसएसपी किशोर कौशल के मुताबिक, इस तरह के कुछ मामले सामने आए हैं, जिसकी जांच की जा रही है। इसमें संबंधित कैम्प से सम्पर्क करने पर जवान तो मिला, लेकिन वह ड्यूटी पर था। इसमें कॉलिंग टावर बिहार व दूसरे राज्यों के मिले हैं। मामले की जांच चल रही है।
इस तरह की जाती है ठगी
साइबर ठग गिरोह फोन कर कहता है कि मैं आर्मी कैंप से बोल रहा हूं, मेरा ट्रांसफर हो गया है। कुछ सामान है, जिसे बेचना है, लेना चाहते हैं तो बताएं। इसके बाद कॉलर व्हाट्सएप पर आता है, जिसमें उसका प्रोफाइल फोटो आर्मी की वर्दी वाला होता है। फिर वह अपना विवरण भेजता है, जिसमें सेना या फिर सीआरपीएफ का आईकार्ड भी होता है। वह सामान की तस्वीर भेजता है और फिर अपना यूपीआई नम्बर भेजता है, जो गूगल पे, पे फोन का होता है। उसके आईकार्ड और व्हाट्सएप नम्बर पर उसकी फोटो देखकर लोग जाल में फंस जाते हैं। इसके बाद पैसे मांगता है। कम कीमत में अच्छे सामान और आर्मी की वर्दी देख लोग ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं। उसके बाद सामान मिलना तो दूर, गिरोह नम्बर भी ब्लॉक कर देता है।
ऐसी शिकायतों के बाद पुलिस हुई गंभीर
इस तरह के साइबर क्राइम की जब जांच में पुलिस गई और आईकार्ड के आधार पर सेना और सीआरपीएफ की यूनिट में सम्पर्क किया गया तो जिसका आईकार्ड था, वह व्यक्ति ड्यूटी पर मिला, लेकिन जांच में पाया गया कि उसके आईकार्ड से मिलता-जुलता दूसरा कार्ड साइबर ठगों ने बनाकर घटना को अंजाम दिया। इसके लिए राज्य की साइबर सेल की मुख्य इकाई सीआईडी अब ऐसे मामलों की जांच कर रही है। जमशेदपुर में इस तरह के 54 मामले सामने आए हैं जिसमें लगभग 18 लाख की ठगी की गई है। सामान बेचने के साथ ही इसमें किसी भी दुकान में आर्मी कैम्प से फोन करने, उसके बाद सामान की बुकिंग करने और फिर लिंक भेजकर खातों से पैसे उड़ा लिए गए।