- इंदौर के बाद जबलपुर में स्थापित होगा दूसरा बोन बैंक
- दान में मिली हड्डियों से जन्मजात समस्याएं भी दूर होगी
- बोन बैंक में हड्डियों को 5 वर्ष तक सुरक्षित रख सकते हैं
जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में बीते वर्ष खुले स्किन बैंक को दान में मिली त्वचा से 26 लोगों की जिंदगी संवारी जा चुकी है। यह प्रदेश का पहला सरकारी स्किन बैंक था। स्किन बैंक, नेत्र बैंक के बाद मेडिकल कॉलेज में बोन बैंक शुरू करने की तैयारी पूरी हो गई है।
इंदौर के बाद प्रदेश का दूसरा बोन बैंक
यह प्रदेश में इंदौर के बाद दूसरा सरकारी बोन बैंक होगा, जहां, दान में मिली हड्डियों को दो वर्ष तक एक तय तापमान में सुरक्षित रखा जा सकेगा। जरूरत के अनुसार, इन हड्डियों का दूसरे मरीज में प्रत्यारोपण किया जाएगा।
ये होगा फायदा
- दुर्घटना में घायलों और बोन-ट्यूमर निकालने के बाद हड्डियों के बीच खाली स्थान को भरने में ये हड्डियां मददगार होगी।
- इससे अस्थि संबंधी जन्मजात समस्या से पीड़ितों की विकृति भी दूर की जा सकेगी।
- मौत के बाद दान में मिली हड्डियों को 5 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- अभी मेडिकल कॉलेज में 2 वर्ष तक सुरक्षित रखने के ही उपकरण स्थापित हो रहे है।
- अस्थि बीमारियों के अलावा न्यूरो सर्जरी में भी यह हड्डियां काम आती हैं।
- बोन बैंक का संचालन प्लास्टिक सर्जरी विभाग करेगा।
- लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।