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संघ की शाखाओं में सिखाया जा रहा इंटरनेट मीडिया की भ्रामक सूचनाओं से लड़ना

Rss teach how to fight misleading imformation:digi desk/BHN/ देशभक्ति से ओतप्रोत श्लोक, पारंपरिक खेल और अनुशासन की सीख देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में इंटरनेट मीडिया की भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ लड़ाई के गुर भी सिखाए जा रहे हैं। इन दिनों प्रचलित हो रहे कम्युनिकेशन गेम (खेल के जरिये संदेश) के माध्यम से स्वयंसेवकों को बताया जा रहा है कि कोई भी सूचना किस तरह इंटरनेट मीडिया पर आगे बढ़ते-बढ़ते भ्रामक हो जाती है। इसमें प्रायोगिक तौर पर स्वयंसेवकों को बताया जा रहा है कि वे किसी भी सूचना को तब तक आगे बढ़ाने से बचें, जब तक कि उन्हें खुद उसकी सत्यता की पूरी जानकारी न हो।

दरअसल, हिंदुत्व और संघ सहित मोदी सरकार को लेकर इंटरनेट मीडिया पर अक्सर भ्रामक सूचनाएं पेश की जाती हैं। कभी-कभी ये सुनियोजित होता है तो कभी आगे बढ़ती हुई सूचना का संदर्भ बदलता जाता है। इससे कई बार अर्थ का अनर्थ भी वायरल हो जाता है। नए दौर में संघ इंटरनेट मीडिया के महत्व को अच्छी तरह समझ रहा है। किसी भी भ्रामक सूचना के खंडन न होने की स्थिति में उसे सच मान लेने में भी देरी नहीं लगती। ऐसे में संघ ने इसके खिलाफ अपनी शाखाओं से ही जंग छेड़ने की कवायद शुरू की है।

शाखाओं में ही स्वयंसेवकों को कम्युनिकेशन गेम यानी संवाद क्रीड़ा के जरिये प्रायोगिक तौर पर बताया जाता है कि किस तरह कोई सूचना बढ़ते-बढ़ते कैसे तथ्यों और संदर्भों में मूल स्वरूप से बिलकुल अलग स्वरूप में पेश हो जाती है। ऐसी प्रवृत्तियों से बचने और कहीं ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है, तो उसका प्रतिकार भी करने की सीख दी जा रही है।

पारंपरिक पहचान के साथ नई शुरुआत

वर्ष 2025 में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहली बार पारंपरिक मूल्य से आगे बढ़कर इंटरनेट मीडिया से स्वयंसेवकों को रूबरू करवा रहा है। चूंकि संघ से युवाओं के जुड़ाव में तेजी आई है, तो संघ युवाओं में किसी भ्रम की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता, बल्कि युवाओं के माध्यम से ही इंटरनेट मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की मंशा रखता है। इसका बड़ा फायदा यह भी है कि स्वयंसेवकों की ईमानदारी, बुद्धिमता और तथ्यों की परख की छवि बरकरार रहेगी।

कम्युनिकेशन गेम

इंटरनेट मीडिया पर चर्चित इस खेल में एक कतार में कई लोगों को खड़ा कर दिया जाता है। कतार में खड़ा आखिरी स्वयंसेवक सांकेतिक तरीके से आगे वाले स्वयंसेवक को संदेश देता है। इसे दूसरा स्वयंसेवक अपने आगे खड़े व्यक्ति को बताता है। चौथे… पांचवें और इस तरह एक ही संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता है, लेकिन इस रोचक खेल में कभी भी पहले व्यक्ति द्वारा दिया गया सांकेतिक संदेश जस का तस अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाता है। यही इस खेल का सबसे अहम सबक होता है।

इनका कहना है

इंटरनेट मीडिया पर जो भ्रामक या गलत समाचार प्रसारित होते हैं, उनसे समाज और स्वयंसेवक सचेत रहें। सामाजिक चेतना को सकारात्मक दिशा देने की दृष्टि से ऐसा किया जा रहा है। – ओमप्रकाश सिसोदिया, प्रांत प्रचार प्रमुख, मध्य भारत

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