महाशिवरात्रि 2021:digi desk/BHN/ भगवान शंकर के भक्तों को बेसब्री से 11 मार्च का इंतजार है। उस दिन पूरे देश में धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। उस दिन देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, उस दिन विशेष योग बन रहा है और हर भक्त के पास अपने इस जीवन में जाने-अंजाने हुए पापों से मुक्ति पाने का बड़ा मौका है। इसका उपाय भी बहुत आसान है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री कहते हैं, महाशिवरात्रि पर दिन-रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस पर्व की महिमा ईशान संहिता (Ishaan Samhita) में विस्तार से बताई गई है। ईशान संहिता में लिखा गया है कि इस दिन व्रत रखें और भगवान शिव को अंजलि-भर जल तथा बेलपत्र अर्पित करें। इससे मनुष्य के समस्त पापों का शमन होता है। साथ ही वह भुक्ति सहित मुक्ति का अधिकारी हो जाता है। यह पर्व योगियों को परम तत्व तथा भक्तों को शिवसायुज्य देने वाला है। 11 मार्च को दिन में नौ बजकर 28 मिनट तक शिव योग रहेगा। यह कल्याणप्रद एवं सफलतादायक योग है।
जानिए कब है फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि और क्या योग बन रहे
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को दिन के 2ः21 बजे तक है। उसके बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि लग जाएगी, जो 12 मार्च को दिन में 2ः20 बजे तक रहेगी। व्रत का पारण 12 मार्च को किया जाएगा। इस बार की महाशिवरात्रि अपने आप में विशिष्ट होगी। त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायाण द्विवेदी बताते हैं, Mahashivratri व्रत करने से व्यक्ति को भोग तथा मोक्ष, दोनों की प्राप्ति होती है। Mahashivratri व्रत करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है।
काशी में बाबा का विवाहोत्सव
Mahashivratri पर बाबा काशीविश्वनाथ की नगरी वाराणसी का चमक देखने को ही मिलती है। इस दिन श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा का विवाहोत्सव मनाया जाता है। इस दिन बाबा का प्रथम पहर में गो दुग्ध, दूसरे में दही, तीसरे में घी, चौथे में मधु से अभिषेक होता है। काशी में चतुर्दश लिंग पूजा, श्री वैद्यनाथ जयंती व कृतिवाशेश्वर के दर्शन का विधान है।