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UK Election: सत्ता विरोधी लहर, अवैध प्रवासन से लेकर पार्टी में गुटबाजी और वादा खिलाफी तक, इन वजहों से हारे सुनक

World reason of rishi sunak conservative defeat in uk election 2024: digi desk/BHN/ लंदन/ लेबर पार्टी ने ब्रिटेन के आम चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया है। इस चुनाव में सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। ऋषि सुनक ने डाउनिंग स्ट्रीट छोड़ते समय देश से माफी मांगी और शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री और पार्टी नेता दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया। 

‘आखिरकार इस महान देश के कंधों से एक बोझ हट गया है। परिवर्तन अब शुरू होता है।’ लंदन में शुक्रवार को सूरज उगते ही यह तीखा बयान कीर स्टार्मर ने विजय रैली में दिया। दरअसल, 4 जुलाई को हुए आम चुनाव में ब्रिटेन की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी की बड़ी हार हुई है। बड़े विपक्षी दल लेबर ने 2005 के बाद ब्रिटिश चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की है। लेबर पार्टी को भारी जीत दिलाने के बाद कीर स्टारमर आने वाले घंटों में देश के नए प्रधानमंत्री बन जाएंगे।

निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। इसके साथ ही सुनक ने अपने इस्तीफे का भी एलान कर दिया है। आइये जानते हैं कि ब्रिटिश चुनाव में ऋषि सुनक को पार्टी क्यों हारी? कंजर्वेटिव सरकार के लिए कौन से मुद्दे भारी पड़ गए? 

ब्रिटेन चुनाव के नतीजे कैसे रहे?
4 जुलाई 2024 को ब्रिटेन में 650 संसदीय सीटों के लिए मतदान हुआ। ये चुनाव यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में हुए। 5 जुलाई को ब्रिटेन चुनाव के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। इन चुनावों में कुल 392 पंजीकृत पार्टियां रहीं लेकिन मुख्य मुकाबला ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव और मुख्य विपक्षी नेता कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी के बीच हुआ। 

अब तक 650 में से 648 सीटों के नतीजे घोषित हो गए हैं। पार्टीवार नतीजे देखें तो विपक्षी लेबर पार्टी ने 412 सीटें जीत ली हैं। वहीं मौजूदा सत्ताधारी दल कंजर्वेटिव महज 121 सीटें जीती है। वहीं अन्य छोटे दलों की बात करें तो लिबरल डेमोक्रेट्स ने 71, स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) नौ, सिन फेन सात, डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (डीयूपी) पांच और रिफॉर्म पार्टी ने चार सीटें जीती हैं। हालांकि, एक सीट पर पुनर्मतगणना के कारण चुनाव का अंतिम परिणाम शनिवार की सुबह तक घोषित नहीं किया जाएगा।

सत्ता विरोधी लहर में बह गए दिग्गज कंजर्वेटिव 
ब्रिटेन में पिछले 14 साल से कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार है। हालांकि, ये वर्ष राजनीतिक दृष्टिकोण से उथल-पुथल से भरे रहे हैं और पिछले आठ वर्षों में पांच कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटेन की सत्ता संभाली है। आज आए नतीजों से साफ पता चलता है कि कंजर्वेटिव के खिलाफ तीव्र सत्ता विरोधी लहर थी जिसमें बड़े-बड़े दिग्गज बह गए। इस चुनाव में सत्ताधारी कंजर्वेटिव ने काफी प्रचार किया था लेकिन नतीजों में इसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 

इन नतीजों ने टोरीज (कंजर्वेटिव पार्टी का चर्चित नाम) को विपक्ष में बैठा दिया है। कंजर्वेटिव के एक से बड़े एक नेता इस चुनाव में परास्त होते गए। उत्तरी इंग्लैंड और मिडलैंड्स क्षेत्र की सीटों पर लेबर और रिफॉर्म पार्टी के हाथों कंजर्वेटिव का सफाया हो गया। उधर दक्षिणी इंग्लैंड के समृद्ध क्षेत्रों में लिबरल डेमोक्रेट्स के हाथों पार्टी का सफाया हो गया, जहां पहले दशकों तक इसका कब्जा था।

कई हाई-प्रोफाइल हस्तियां और सत्ता के 14 साल के दौर के चेहरे अपनी सीटें खो बैठे। पेनी मोरडेंट, जैकब रीस-मोग, रॉबर्ट बकलैंड, एलेक्स चाक और अन्य को बड़े नेताओं को अपनी सीटों पर करारी हार मिली। निवर्तमान वित्त मंत्री जेरेमी हंट मुश्किल से ही अपनी सीट बचा सकीं। और सबसे सनसनीखेज हार आखिर तक बची रही। पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस अपनी पहले की अति-सुरक्षित सीट हार गईं। इस ब्रिटिश चुनाव से पहले, इस शताब्दी में केवल तीन कैबिनेट मंत्रियों ने अपनी सीट खोई थी और वे सभी लिबरल डेमोक्रेट के थे, जो कंजरवेटिव के साथ गठबंधन में सरकार का हिस्सा थे।

पांच प्राथमिकताओं पर वादाखिलाफी
जनवरी 2023 में सुनक ने ब्रिटिश लोगों के सामने पांच प्राथमिकताओं के साथ अपना प्रस्ताव रखा था। इसमें मुद्रास्फीति को कम करना, अर्थव्यवस्था को बढ़ाना, कर्ज कम करना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा एनएचएस से मुद्दे को हल करना और अवैध प्रवासियों को रोकना। उस समय उनकी महत्वाकांक्षा की कमी की आलोचना इन पांच वादों के लिए की गई थी। जब तक सुनक ने आम चुनाव की घोषणा की, तब तक केवल मुद्रास्फीति ही लक्ष्य से नीचे थी।

‘रवांडा फ्लाइट्स पॉलिसी’ को लेकर उनकी कोशिशें कभी जमीन पर नहीं उतर पाईं। यह रवांडा में शरण चाहने वालों को भेजने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक एक योजना है। इस योजना को अभी भी कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अंत में इसने उनकी पार्टी में और असंतोष पैदा किया, चुनावों में टोरीज को नुकसान पहुंचाया।निगेल फरेज और रिफॉर्म जैसे छोटे दलों इसे चुनावी मुद्दा बनाया में जिसका खामियाजा कंजर्वेटिव सरकार को भुगतना पड़ा।

पार्टी पर कब्जे के लिए लड़ाई बनी मुसीबत
शुक्रवार की सुबह आए नतीजों में अपनी सीट बचाने वाले कुछ कंजर्वेटिव सांसदों के बयान से लगा रहा है कि पार्टी में बहुत दिन से इस पर नियंत्रण की जंग चल रही है। अपनी सीट खोने के बाद निवर्तमान सांसद रॉबर्ट बकलैंड ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने इस चुनाव में पार्टी के भीतर बेहद आश्चर्यजनक अनुशासनहीनता देखी है।’

पार्टी का नेतृत्व हथियाने की लड़ाई पहले से ही चल रही है। इस पद के लिए हाल ही में हुए दो चुनावों में भाग लेने वाले वरिष्ठ सांसदों की महत्वाकांक्षाएं उनके भाषणों में दिखीं। यह लड़ाई अब बहुत कठिन हो सकती है। पिछली संसद के दौरान दो धड़ों ने पार्टी को विभाजित कर दिया था और अब वे इसे नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे। पार्टी में उदारवादी माना जाने वाले धड़े ने प्रवासन के मुद्दे पर पर तीखी बयानबाजी की है।

कंजर्वेटिव की हार के बाद ब्रिटेन की पूर्व गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने भी पार्टी पर वादे ने निभाने के आरोप लगाए हैं। मतगणना के दौरान ब्रेवरमैन ने कहा, ‘मुझे खेद है कि मेरी पार्टी ने आपकी बात नहीं सुनी। कंजर्वेटिव पार्टी ने आपको निराश किया है। महान जनता ने 14 साल से अधिक समय तक हमें वोट दिया और हमने अपने वादे पूरे नहीं किए। हमें सबक सीखने की जरूरत है क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो आने वाले समय में हमारे लिए और भी बुरी रातें होंगी।’

रिफॉर्म ने सुनक की पार्टी को झटका दिया 
एग्जिट पोल ने बहुत बड़े आश्चर्य के संकेत दिए थे, जिसमें रिफॉर्म पार्टी को 13 सीटें मिलने का संकेत दिया गया लेकिन असली नतीजे इतने अच्छे नहीं थे। इस चुनाव में रिफॉर्म के चार सांसद चुने गए हैं। विपक्षी दल को पूर्वानुमान के अनुसार सभी सीटें नहीं मिलीं, लेकिन इसने देश भर में दर्जनों सीटों पर कंजर्वेटिवों को दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया।

रिफॉर्म ने कानूनी और अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने में कंजर्वेटिवों की विफलता का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया से बहुत लाभ हुआ। यह एक ऐसा मुद्दा था जिसे उन्होंने अपने प्रचार अभियान के केंद्र में रखा। 

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