World covid vaccines may contribute to excess deaths in the us covid-19 vaccines health risks: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ साल 2019 के आखिरी महीने से दुनियाभर में शुरू हुई कोरोना महामारी अब भी जारी है। अध्ययनों से पता चलता है कि वायरस में लगातार म्यूटेशन हो रहा है जिससे नए वैरिएंट्स का खतरा बना हुआ है। वैक्सीनेशन और कोरोना से बचाव के उपायों ने संक्रमण के जोखिमों को तो जरूर कम किया है हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को लगातार बचाव करते रहने की सलाह देते हैं।
हाल ही में वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि वैक्सीनेशन के कारण दुर्लभ मामलों में रक्त के थक्के बनने और हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है। इसके बाद से टीकों की प्रभाविकता को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।
इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बड़ी जानकारी साझा की है। पीर रिव्यू्ड जर्नल बीएमजे पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित शोध में अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 टीकों के कारण महामारी के बाद से मौतों में वृद्धि हुई है। 47 पश्चिमी देशों में मृत्यु के आंकड़ों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर व्यापक उपायों के बावजूद साल 2020 से वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कोविड-19 टीकों के कारण बढ़े मौत के मामले
अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में वैक्सीन के दुष्प्रभावों के कारण मौत के मामलों में उछाल आया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नीदरलैंड की व्रीजे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि चिकित्सा पेशेवरों और नागरिकों दोनों में टीकाकरण के बाद गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और अतिरिक्त मौत के मामले देखे गए।
अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने लिखा, कोरोनावायरस से होने वाले रोग की गंभीरता को कम करने में कोविड-19 टीके लाभकारी हैं, हालांकि साथ ही साथ इसके कारण प्रतिकूल घटनाएं भी देखी गई हैं।
कई देशों में बढ़ी अतिरिक्त मृत्युदर
अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 से अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में ही 3 मिलियन (30 लाख) से अधिक अतिरिक्त मौतें हुई हैं। ये आंकड़े अगले वर्षों में भी उच्च रहे। साल 2021 में 1.2 मिलियन (12 लाख) और 2022 में 8 लाख लोगों की मौत हुई। शोधकर्ताओं ने बताया, मृत्यु दर के आंकड़े वायरस से सीधे और अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से जोड़कर देखे जा सकते हैं। कई लोगों में टीकों के गंभीर दुष्प्रभावों का भी पता चला है, जिसके कारण इस्केमिक स्ट्रोक, अक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम और मस्तिष्क में रक्तस्राव जैसी समस्याएं देखी गई हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, इस रिपोर्ट पर अभी और विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में ये स्पष्ट नहीं है कि दुष्प्रभाव किसी खास टीके से संबंधित हैं या फिर सभी से।
गर्भावस्था में टीकों का असर
टीकों के कारण किस प्रकार से स्वास्थ्य पर असर हो सकता है? इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 टीकाकरण की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी है। येल विश्वविद्यालय और 11 अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भावस्था के दौरान टीका लगवाने से कोई जोखिम नहीं होता है। इससे पहले की कुछ रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा था कि इससे बच्चों में जन्म के समय मृत्यु का खतरा हो सकता है, हालांकि अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।
टीका लगवाना सुरक्षित
ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में फरवरी 2021 से फरवरी 2022 तक जन्म के समय मृत बच्चों का डेटा निकाला गया। शोधकर्ताओं ने कई स्तर पर किए शोध में पाया कि ये मृत्यु प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी तरह से टीकों से संबंधित नहीं थे। येल स्कूल ऑफ मेडिसिन की डॉ. अन्ना डेनोबल के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को यह भरोसा दिलाना था कि कोविड-19 के खिलाफ टीका लगवाना सुरक्षित है।
वैक्सीनेशन से गर्भावस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता, इसके साथ शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि संक्रमण के कारण होने वाली गंभीर बीमारी को रोकने में टीकाकरण अभी भी सबसे अच्छा तरीका है और गर्भावस्था के दौरान भी इसे लेना सुरक्षित है।