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वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेेत्र की हिस्सेदारी बढ़ी

नई दिल्ली
कोविड-19 के दौरान उच्चतम स्तर पर पहुंची बेेरोजगारी के बाद इसकी दर में निरंतर गिरावट आ रही है। वित्त मंत्रालय की नवीनतम मासिक आर्थिक समीक्षा के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेेत्र की हिस्सेदारी बढ़ी है। बेरोजगारी दर में गिरावट के साथ-साथ रोजगार को एक औपचारिक स्वरूप देने में भी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हो रही है।

आधार जैसे डिजिटल पहचान का निर्माण, ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण और उद्यम पोर्टल पर एमएसएमई के पंजीकरण ने अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस साल 22 मई तक, 4.4 करोड़ एमएसएमई को उद्यम पोर्टल (उद्यम सहायता प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत अनौपचारिक उद्यमों सहित) पर पंजीकृत किया गया है। इनमें से 97 प्रतिशत से अधिक सूक्ष्म उद्योोग हैं।

वित्त वर्ष 2024 के दौरान ईपीएफओ में 1.47 करोड़ नए सदस्यों काेे शामिल किया गया। पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें 6.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष ईपीएफओ से 1.39 करोड़ नए सदस्य जुड़े थे। वित्त वर्ष 24 में ईपीएफओ में लगभग 1.08 करोड़ नए ग्राहक नामांकित हुए। इनमें से 56.7 प्रतिशत नए शामिल ग्राहक 18-25 वर्ष के आयु वर्ग के थे। ईपीएफओ में फिर से शामिल होने वाले सदस्यों की अपेक्षाकृत उच्च संख्या यह दर्शाती है कि श्रम बाजार अपनी सामाजिक सुरक्षा सुरक्षा का विस्तार करने का विकल्प चुन रहा है।

पिछले कुछ महीनों में, ईपीएफओ में दोबारा शामिल होने वाले ग्राहकों की संख्या नए ग्राहकों या मौजूदा ग्राहकों के हटने की तुलना में अधिक रही है। वित्त वर्ष 24 के दौरान, 1.64 करोड़ सदस्य पहले बाहर निकलने के बाद फिर से ईपीएफओ से जुड़ गए।

ईपीएफओ के अनुसार, इन सदस्यों ने अपनी नौकरियां बदल लीं और ईपीएफओ के तहत आने वाले प्रतिष्ठानों में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी बचत को वापस लेने के बजाय इसे नए प्रतिष्ठान में स्थानांतरित करने का विकल्प चुना। पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में मौजूदा ईपीएफओ ग्राहकों के नाम हटाए जाने की संख्या भी कम रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान 1.25 करोड़ ईपीएफओ ग्राहक बाहर हो गए, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1.34 करोड़ था।

इसमें यह भी कहा गया है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में बड़े स्तर पर रोजगार सृजन हुआ है। पीएमआई विनिर्माण रोजगार उप-सूचकांक विनिर्माण क्षेत्र में अधिक रोजगार के अवसरों का संकेत देता है। इसी तरह, पीएमआई सेवा उप-सूचकांक घरेलू मांग में बढ़ोतरी, नए व्यापार लाभ और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में बढ़ोतरी के संयोजन से सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन में वृद्धि दर्शाता है।

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