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पेट्रोल-डीजल की कीमत फिर बढ़ेगी ! सूखने वाली है रूसी डिस्काउंट की टंकी, 6 महीने के टॉप पर कच्चा तेल

नई दिल्ली
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में करीब 10 महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन जल्दी ही यह स्थिति बदल सकती है। इसकी वजह यह है कि रूस पर अमेरिका का ताजा प्रतिबंधों के कारण भारत को मिल रहा डिस्काउंट खत्म हो सकता है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि रूसी तेल पर अमेरिकी सरकार के प्रतिबंधों का असर भारतीय आयात पर दो महीने में देखने को मिलेगा। सबसे खराब स्थिति में भारत को रूसी तेल पर मिल रही छूट खत्म हो सकती है। केंद्र सरकार ने पिछले साल लोकसभा चुनावों से पहले 4 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। देश अपनी जरूरत का 87% कच्चा तेल आयात करता है। हाल के वर्षों से रूस से कच्चे तेल के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है।

शुक्रवार को बाइडन एडमिनिस्ट्रेशन ने रूसी तेल उत्पादक कंपनियों Gazprom Neft और Surgutneftegaz के साथ-साथ करीब 180 तेल टैंकरों पर नए प्रतिबंध लगा दिए। इसका मतलब है कि इन दो कंपनियों से तेल खरीदने वाले या प्रतिबंधित टैंकरों से तेल की डिलीवरी करवाने वाले देश या व्यक्त पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अब तक रूसी एनर्जी सेक्टर पर अमेरिकी प्रतिबंधों का ज्यादा असर नहीं रहा है। भारत या रूसी तेल खरीदने वाले अन्य देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं। रूसी तेल के प्रतिबंधित खरीदारों के डॉलर में भुगतान करना, अमेरिका में फंड जुटाना और अमेरिकी कंपनियों के साथ व्यापार करना मुश्किल होगा।

डिस्काउंट खत्म होगा

Gazprom भारत के लिए एक अहम सप्लायर है जबकि रोसनेफ्ट सबसे बड़ा सप्लायर है। Surgutneftegaz से आपूर्ति नहीं के बराबर है। भारतीय रिफाइनर रूसी सप्लाई के लिए ट्रेडर्स पर बहुत अधिक निर्भर हैं। यही वजह है कि टैंकरों पर प्रतिबंध Gazprom पर प्रतिबंधों की तुलना में ज्यादा घातक हैं। नए प्रतिबंधों के कारण खरीदारों को पहले से किए गए सौदों को पूरा करने के लिए 12 मार्च तक का समय मिला है। अधिकारी ने कहा कि रूस पर अमेरिका के ताजा प्रतिबंधों से निश्चित रूप से भारत के लिए सप्लाई पर असर होगा। इसका असर दो महीने बाद दिखाई देगा। सबसे खराब स्थिति में भारत के लिए रूसी तेल पर मिल रहा डिस्काउंट खत्म हो जाएगा।

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस से बड़ी मात्रा में डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीद रहा है। अधिकारी ने कहा कि संभव है कि प्रतिबंध की जद में नहीं आने वाला कच्चा तेल जी-7 देशों की मूल्य सीमा $60 प्रति बैरल से कम पर बेचा जाना शुरू हो जाएगा। इससे उसकी पश्चिमी शिपिंग और बीमा तक पहुंच हो जाएगी। इस तरह बाजार हमारे लिए तेल लाने का एक तरीका खोज सकता है। अधिकारी ने कहा, 'बाजार अभी भी यह समझ नहीं पा रहा है कि इसका असल में क्या मतलब है।' उन्होंने कहा कि इसका पूरा असर कई कारकों पर निर्भर करेगा। इसमें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी, रूस का रिस्पॉन्स और प्रतिबंधों पर बाजार की प्रतिक्रिया शामिल है।

कच्चे तेल की कीमत

अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिफाइनर 12 मार्च के बाद रूसी सप्लाई पर पड़ने वाले संभावित असर की भरपाई के लिए वैकल्पिक आपूर्ति की तलाश कर रहे हैं। भारतीय रिफाइनर स्पॉट मार्केट से रूसी कच्चा तेल खरीदते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए एक बड़ी डील की है। अधिकारी ने कहा कि स्पॉट बायर जल्दी ही वैकल्पिक विकल्पों पर स्विच कर लेंगे, जबकि टर्म डील खरीदारों के पास वॉल्यूम को रिवाइज करने या डील खत्म करने का विकल्प होगा।

इस बीच कच्चे तेल की कीमत पिछले एक सप्ताह में लगभग 5 डॉलर बढ़कर 81 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं। यह अगस्त के बाद इसका सबसे उच्च स्तर है। हालांकि अधिकारी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में तेजी टिकाऊ नहीं हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध है। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और गुयाना से अतिरिक्त आपूर्ति रूस से किसी भी आपूर्ति पर पड़ने वाले असर को कम करने में मदद कर सकती है।

 

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