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छगन भुजबल बोले- लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए राह आसान नहीं, लोगों में उद्धव और शरद पवार के लिए सहानुभूति

मुंबई
 अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा है महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में इस बार स्थिति अलग होगी। बीजेपी और इसके सहयोगी दलों के लिए राह साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह आसान नहीं होने वाली। छगन भुजबल ने कहा कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी में जिस तरह से टूट हुई है, उससे लोगों के बीच इन दोनों नेताओं के लिए सहानुभूति की लहर है। इस बात का फायदा इन नेताओं की पार्टियों को मिल सकता है।

'लोगों को पीएम मोदी की क्षमता पर भरोसा'
छगन भुजबल ने कहा कि लोगों को पीएम मोदी की क्षमता पर भरोसा है। लोग चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री बनें। हालांकि, बीजेपी की ओर से दिए गए नारे अबकी बार 400 के पार के मुताबिक प्रदर्शन करना आसाना नहीं लग रहा। इसकी वजह है कि विपक्षी पार्टियां मजबूती से इस बात का प्रचार कर रही हैं कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। कर्नाटक से बीजेपी के सांसद अनंतकुमार हेगड़े के इससे जुड़े बयान से लोग इस बारे में सोचने लगे हैं।

बताया क्यों लड़ना चाहते थे नासिक से चुनाव
छगन भुजबल ने बताया कि आखिर नासिक लोकसभा सीट से पीछे हटने का फैसला क्यों लिया। भुजबल ने बताया कि होली के दौरान एनसीपी के नेताओं ने मुझे बताया था कि मुझे नासिक सीट से चुनाव लड़ेंगे। यह बात मुझे दिल्ली में सीट शेयरिंग को लेकर हो रही बैठक के बाद दी गई थी। नासिक सीट से शिंदे भी चुनाव लड़ना चाहते थे। भुजबल ने कहा कि नासिक से वह खुद और उनके बेटे विधायक रहे हैं। भुजबल ने बताया कि उनके भतीजे समीर भुजबल यहां से सांसद रहे हैं। इसलिए वह चाहते थे कि वह नासिक सीट से चुनाव लड़ें। बता दें कि भुजबल ने यह सारी बातें एनडीवी से इंटरव्यू के दौरान कही।

आखिर क्यों चुनाव लड़ने से पीछे हटे भुजबल?
छगन भुजबल ने कहा कि नासिक लोकसभा सीट में मैने बहुत अच्छा काम किया था। इसके कारण लोगों ने मुझे काफी समर्थन दिया।छगन भुजबल ने कहा कि जब नारायण राणे का नाम रत्नागिरी सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट के प्रत्याशी के तौर पर घोषित कर दिया गया और मेरे नाम का ऐलान नहीं किया गया, तो मैं हैरान रह गया। मुझे लगा कि वे ऐसा चाहते हैं कि मैं इस सीट से चुनाव नहीं लडूं। अगर मैं यहां से चुनाव लड़ता तो मुझे मेरे आत्मसम्मान से समझौता करना पड़ता। मैं अपनी स्थिति समझता हूं। मैंने कभी भी अपने लिए टिकट नहीं मांगा। आखिरी बार मैंने 1970 में मुंबई मुनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से टिकट मांगा था।

महराष्ट्र में बदला राजनीतिक परिदृश्य
महाराष्ट्र में बीते दो साल में राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। साल 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके साथ कुछ अन्य विधायकों ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना से बगावत कर दिया था। साथ ही पार्टी पर भी अपना दावा ठोंक दिया था। परिणामस्वरूप उद्धव की नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी गिर गई। शिवसेना दो धड़ों में टूट गई। इसके ठीक एक साल शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने अपना पावर दिखा दिया। अपने चाचा से बगावत कर दी। भाजपा के साथ मिल गए और उप मुख्यमंत्री बन गए। इन दोनों ही मामले में पार्टी का नाम और सिंबल सब कुछ बगावत करने वाले गुट को मिल गया। छगन भुजबल ने इन्हीं घटनाओं को जिक्र करते हुए कहा कि इससे शरद पवार और उद्धव ठाकरे के प्रति लोगों में सहानुभूति है।

बारामती का जिक्र होते ही भावुक हुए भुजबल
महाराष्ट्र की हॉट लोकसभा सीटों में से एक बारामती के बारे में जिक्र होते ही छगन भुजबल भावुक नजर आए। बता दें कि बारामती सीट शरद पवार का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट से शरद पावर की बेटी सुप्रिया सुले और उनके भतीजे अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा आमने-सामने हैं। भुजबल ने कहा कि बारामती में जो कुछ भी हुआ वह मेरे लिए बेहद दुखद है। जो लोग सालों तक एक ही घर में एक ही साथ रहे, वे अगर साथ ही रहते तो अच्छा रहता। जो कुछ भी बारामती में हो रहा है, वह कई लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। गलती किसकी है, किसकी नहीं है, यह अलग बात है, लेकिन,अगर स्थिति ऐसी नहीं होता तो बेहद ही अच्छा होता।

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