स्वीगी से खाना आनलाइन आर्डर किया था
Cyber fraud:digi desk/BHN/ इंदौर शहर में आनलाइन ठगी की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। स्कीम 54 विजय नगर में रहने वाले दीपेश वामने भी ठगी का शिकार हो गए। उन्होंने खाने का आनलाइन आर्डर दिया था। उनके पास खाना तो नहीं पहुंचा, उल्टे बैंक खाते से 35350 हजार रुपये निकल गए। दीपेश वामने ने क्राइम ब्रांच को ठगी की शिकायत की है। दीपेश ने बताया कि उन्होंने 3 फरवरी की रात करीब 9 बजे स्वीगी से खाना आनलाइन आर्डर किया था। 350 रुपये कटने के बाद जब डेढ़ घंटे तक खाना नहीं आया तो कंपनी के शिकायत नंबर पर फोन किया। लेकिन कई प्रयासों के बाद भी फोन नहीं लगा। इसके बाद स्वीगी की वेबसाइट खोजी और कस्टमर केयर के टोल फ्री नंबर पर फोन किया।
मितेश नामक व्यक्ति ने फोन उठाया और पूछा कि किस नंबर से खाना बुक किया था। नंबर बताने के बाद उसने कहा कि आपका खाना लेट हो गया है, अब रात हो गई है खाना नहीं आ पाएगा। यदि आप चाहें तो रुपये वापस खाते में भेज देंगे। मितेश ने दीपेश के मोबाइल पर एक लिंक भेजी और कहा कि इसे क्लिक करने पर पांच रुपये आएंगे। इसके बाद एक और लिंक आएगी, जिसके माध्यम से बचे रुपये भी आपको भेज दिए जाएंगे। पहली लिंक पर क्लिक करने पर पांच रुपये खाते में आ गए। दूसरी लिंक पर क्लिक किया तो खाते से 350 रुपये कट गए। लगातार तीन मैसेज आए और तीन खातों (स्टेट बैंक, पंजाब बैंक और एचडीएफसी) से 10-10 हजार रुपये व एक खाते (एक्सिस बैंक) से पांच हजार रुपये कट गए।
फिर फोन ही नहीं लगा, खाना भी आ गया
रुपये कटने के मैसेज मिलने के बाद जब फिर उसी नंबर पर फोन किया तो नहीं लगा। थोड़ी देर बाद करीब 10:30 बजे खाना भी आ गया। खाना देने आए डिलीवरी बाय से रुपये कटने के बारे में कहा तो उसने बताया कि आर्डर निरस्त ही नहीं हुआ है। दूसरे दिन दीपेश विजय नगर थाने शिकायत करने पहुंचे तो उन्हें डीआइजी कार्यालय जाने का कहा। वहां से क्राइम ब्रांच में आवेदन देने के लिए कहा। शुक्रवार को मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच में की है।
गूगल पर दिए नंबर पर फोन न करें
राज्य साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि कई नंबर फर्जी होते हैं। उन्हें पहचानना भी बहुत मुश्किल होता है। ऑनलाइन गैस बुकिंग, खाना आर्डर, ट्रैवल एजेंसी, बैंक संबंधी पूछताछ के लिए किसी भी कस्टमर केयर या शिकायत नंबर गूगल पर सर्च करने में सावधानी बरतें। यदि किसी भी वेबसाइट को सर्च करते हैं तो वह भी विश्वसनीय होनी चाहिए। ठग फेक नंबर का उपयोग करते हैं और ठगी के बाद बंद कर देते हैं। इस तरह के कई मामले साइबर सेल में आए हैं। कई को रुपये वापस भी दिलवाए हैं। ये नंबर राज्य के बाहर के होते हैं, इस कारण कई बार ऐसे नंबर और उनके उपयोगकर्ता तक पहुंचने में समय लगता है।
सवा महीने पहले भी ठगी
30 दिसंबर को धर्मेंद्र तिवारी के साथ भी इसी तरह की ऑनलाइन ठगी हुई थी। खाते से करीब 19 हजार रुपये निकल गए थे। मामले में क्राइम ब्रांच को शिकायत की थी। हालांकि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। अधिकारी बार-बार जांच का आश्वासन दे रहे हैं।