Mahashivratri 2021:digi desk/BHN/ शिव साधना का महापर्व महाशिवरात्रि 11 मार्च को शिवसिद्धि योग में मनेगा। ज्योतिषियों के अनुसार शिवरात्रि पर ग्रह, नक्षत्रों के संयुक्त अनुक्रम का यह संयोग एक शताब्दी बाद बन रहा है। इस योग में अघोर साधना का शीघ्र फल प्राप्त होता है। इस दिन धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति के लिए साधना के अलग-अलग अनुक्रम बताए गए हैं। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार 11 मार्च गुरुवार को धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, वाणिज्य करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में महापर्व की शुरुआत होगी। सुबह 9.30 तक शिवयोग रहेगा, इसके बाद सिद्ध योग रहेगा। दोपहर 2.45 बजे तक त्रयोदशी रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लगेगी।
धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 10 बजे तक रहेगा। इसके बाद शततारका नक्षत्र की साक्षी रहेगी। वाणिज्य करण भी दोपहर 2.50 बजे तक रहेगा। इसके बाद शकुनी करण रहेगा। ग्रह,नक्षत्रों का यह संयुक्त अनुक्रम एक शताब्दी बाद बन रहा है। ऐसे योगों में शिव साधना मनोवांछित फल प्रदान करने के लिए श्रेष्ठतम मानी जाती है।
साधना के यह अनुक्रम विशेष
- – गृहस्थ को परिवार व संतान की सुरक्षा के लिए अष्टाध्याई रूद्र का अभिषेक करना चाहिए।
- – उपासकों को शिव पंचाक्षर मंत्र का निरंतर मनन करना चाहिए।
- – साधकों को शिवतंत्र व वैदिक मंत्रों द्वारा भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
- – अघोर साधना के लिए योगी को साधना का संकल्पित चयन करना चाहिए।
दूल्हा बनेंगे बाबा महाकाल
महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल का दूल्हा रूप में श्रृंगार होगा। भगवान के शीश सवा मन फूल व फलों से बना सेहरा सजाया जाएगा। अगले दिन साल में एक बाद दिन में होने वाली भस्मारती होगी। इससे पूर्व मंदिर में 9 दिन तक शिव नवरात्रि उत्सव मनाया जाएगा। प्रतिदिन भगवान का विभिन्न स्वरूप में दर्शन होंगे। देशभर से भक्त दर्शन के लिए उमड़ेंगे।