पटना
भरपूर सम्मान एवं बराबरी की हिस्सेदारी का दावा करने वाले राजनीतिक दल इस चुनाव में भी आधी आबादी से किए अपने वादे भूल गए। एकमात्र राजद को इस आरोप से परे रख सकते हैं, जिसने अपने हिस्से की 23 में से छह सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है। यह बात दीगर कि उसकी छह महिलाओं में दो लालू-राबड़ी की बेटियां (मीसा भारती और रोहिणी आचार्य) हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने तो मात्र चार महिलाओं को मैदान में उतारा है। उनमें भी उसके प्रमुख घटक भाजपा से एक भी महिला नहीं। महिला आरक्षण विधेयक अगर इसी चुनाव से प्रभावी होता तो बिहार में लोकसभा की 14 सीटों पर आधी आबादी के अलावा कोई दूसरा दावेदार नहीं होता। तब इन दलों पर पुरुष मानसिकता से प्रभावित होने का आरोप भी कुछ कम हो जाता। बहरहाल ऐसा नहीं है। इस विधेयक को पास कराने का श्रेय लेने वाली भाजपा ने तो इस बार किसी महिला को योग्य समझा ही नहीं। उसकी सहयोगी लोजपा और जदयू ने दो-दो महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है।
क्या कांग्रेस और VIP देगी महिलाओं को प्रतिनिधित्व?
महागठबंधन में अभी राजद के एक, विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के दो और कांग्रेस के छह प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है। आशा कर सकते हैं कि वहां आधी आबादी के लिए अवसर का अभी अंत नहीं हुआ। हिना शहाब की दावेदारी के कारण ही सिवान में राजद प्रत्याशी की घोषणा नहीं हो पा रही। बाहुबली सांसद रहे मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना पिछले तीन चुनाव से वहां लड़ती-हारती रही हैं।
एक मात्र महिला सासंद भी हुई बेटिकट
पिछली बार भाजपा ने एकमात्र महिला (रमा देवी) को अवसर दिया था, जिसने शिवहर में जीत का रिकार्ड बनाया। रमा इस बार बेटिकट हो गई हैं।
जदयू और लोजपा का क्या है हाल?
पिछली बार लोजपा और जदयू ने भी एक-एक महिला को मैदान में उतारा था, जो विजयी रही थीं। वीणा देवी सौभाग्यशाली हैं, जो इस बार भी लोजपा से वैशाली में दांव आजमा रहीं। दूसरी शांभवी चौधरी हैं, जो जदयू के मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री व आइपीएस अधिकारी रहे किशोर कुणाल की पुत्रवधू हैं। बगावत कर चुके अपने चचेरे भाई प्रिंस राज को बेदखल कर चिराग पासवान ने शांभवी को समस्तीपुर में उतारा है। जदयू भी इस बार दो महिलाओं को लेकर आया है।
लवली आनंद शिवहर और विजय लक्ष्मी सिवान के मैदान में हैं। दोनों पहली बार जदयू से प्रत्याशी बनी हैं और इसका कारण उनके पति क्रमश: आनंद मोहन और रमेश सिंह कुशवाहा हैं। पत्नी का टिकट पक्का होने पर ही राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ रमेश जदयू में आए। इसके लिए कविता सिंह को सिवान से बेदखल होना पड़ा, जिन्होंने वहां पिछली बार जदयू का झंडा गाड़ा था।
महागठबंधन ने किन महिलाओं को बनाया प्रत्याशी?
महागठबंधन में कांग्रेस को नौ सीटें मिली हैं, जिनमें से मात्र तीन के प्रत्याशी घोषित हुए हैं। शेष छह पर दो-तीन महिलाएं भी दावेदार हैं। सासाराम में कद्दावर मीरा कुमार के लिए कोई संशय नहीं था, लेकिन उन्होंने स्वयं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया। वीआइपी की तलाश गोपालगंज और पूर्वी चंपारण में योग्य प्रत्याशियों की है और उसकी योग्यता के अपने पैमाने हैं। राजद अपने हिस्से की 23 में से 22 पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुका है।
पाटलिपुत्र में मीसा और सारण में रोहिणी के अलावा जमुई में अर्चना रविदास, पूर्णिया में बीमा भारती, शिवहर में रितु जायसवाल और मुंगेर में अनिता देवी ने लालटेन उठा लिया है। अनिता बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं, जो नौकरी छोड़ चुनाव लड़ने आई हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह से लड़ाई है। पिछले तीन चुनावों से महिलाएं ही ललन से टकरा रहीं। शिवहर में आमने-सामने की दोनों योद्धाएं महिलाएं हैं। हिना के होने पर सिवान भी शिवहर की श्रेणी में होगा।