सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ ईद उल फितर मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है, जो रमजान के महीने पूरे होने पर मनाया जाता है। ईद उल फितर के साथ ही रोजे भी खत्म हो जाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान के दौरान पाक मन से रोजे रखने वालों और नमाज अदा करने वालों के अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है।
मुस्लिम समुदाय में ईद का पर्व बहुत ही बहुत्वपूर्ण माना जाता है। ईद अल-फितर की तैयारी जोरों-शोरों से चल रही है। रमजान का पवित्र माह समाप्त होने के साथ ईद का पर्व मनाया जाता है। रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत 24 मार्च से हो गई थी। जिसके बाद 29 से 30 रोजा रखने के बाद चांद को देखकर ईद का ऐलान किया जाता है। बता दें कि दुनियाभर के मुस्लिम देशों में अलग-अलग तारीख पर ईद मनाई जा रही है, क्योंकि ये चांद के दिखने के ऊपर निर्भर करता है, जिसे चांद की रात कहा जाता है। जिस दिन चांद नजर आता है उसके दिन दिन का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि सऊदी अरब में ईद का चांद दीदार हो गया है और आज धूमधाम से ईद का पर्व मनाया जा रहा है। आज भारत के साथ शहर सतना में भी चांद को देखा गया।
इस्लामिक कैलेंडर के 10वें शव्वाल की पहली तारीख और रमजान के आखिरी दिन चांद दिखने के बाद ईद का पर्व मनाया जाता है। चांद ढिखने के साथ ही आज शहर में ईद की रौनक नजर आ रही है। जहा कल सतना की तमाम मजीदो में ईद की नमाज अदा की जाएगी।
चांद रात क्या है?
जब रात को चांद दिख जाता है, तो सुबह ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है। चांद के दिखने को चांद रात कहा जाता है। इसके साथ ही रमजान के महीने भर के रोजे समाप्त हो जाते हैं। इसी के कारण ईद-उल-फितर को “रोजे खत्म करने का त्योहार”
ईद की नमाज़ से पहले जकात़ देना क्यों है जरूरी?
मुस्लिम समुदाय में माना जाता है कि ईद की नमाज़ से पहले जकात़ और फितरा देना बेहद जरूरी माना जाता है, क्योंकि ये एक फर्ज की तरह होता है।
बता दें कि एक साल से अधिक समय तक रखे सोने के गहने से लेकर नकदी आदि का कुल मूल्य का 2.5 प्रतिशत ज़कात निकाला जाता है। जिसे गरीब या फिर जरूरतमंद को दिया जाता है।