National monsoon weather prediction in india to be normal farmers to benefit know details news and updates: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ देश में भीषण गर्मी की शुरुआत के बीच मानसून को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई हैं। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर ने इस साल भारत में जून से सितंबर तक सामान्य या औसत मानसून रहने की भविष्यवाणी की है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में पर्याप्त वर्षा होने की संभावना जताई है। जबकि बिहार और पश्चिम बंगाल में जुलाई और अगस्त में बारिश की कमी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम एजेंसी ने भारत के दक्षिण, पश्चिम और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की है।
इन राज्यों में होगी झमाझम बारिश
निजी मौसम एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव, लक्षद्वीप में बहुत अच्छी बारिश का अनुमान है।
हालांकि असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में जून और जुलाई के दौरान सामान्य से कम बारिश की संभावना हैं। इसके बाद सामान्य बारिश के आसार हैं। इसी तरह जुलाई और अगस्त में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कम बारिश संभव है। जबकि इस अवधि के बाद सामान्य बारिश का अनुमान है।
किसानों के लिए खुशी लेकर आया ये पूर्वानुमान
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल अच्छी बारिश होने का अनुमान किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। क्योंकि पिछले साल अल-नीनो के चलते सामान्य से बहुत कम बारिश हुई थी। इसके चलते देश के कई हिस्सों में किसानों को सूखे का सामना करना पड़ा। निजी मौसम एजेंसी को उम्मीद है कि चार महीने की अवधि के दौरान मानसूनी बारिश औसत 868.6 मिमी का 102 फीसदी होगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पूर्वानुमान उन किसानों के लिए ज्यादा खुशी लेकर आया है, जो सिंचाई के लिए इस बारिश पर बहुत अधिक निर्भर हैं। देश में सिंचाई सुविधा का भी अभाव है। अभी भी चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों की खेती करने वाले अधिकांश किसान सिंचाई के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं। सामान्य मानसून रहने पर कृषि उत्पादकता में सुधार होगा। साथ ही समय पर सिंचाई होने से फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी। इससे कृषि क्षेत्र में समग्र आर्थिक विकास हो सकता है।