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पाकिस्तान फिर दहला, दूसरे सबसे बड़े नेवल एयर बेस पर दूसरा आतंकी हमला

कराची
पड़ोसी देश पाकिस्तान में मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब वहां के दूसरे सबसे बड़े नौसैनिक हवाई अड्डे पर आतंकियों ने दूसरी बार धावा बोला है और गोलियों की तड़तड़ाहट और बम धमाकों से दहला दिया है।  बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, यह हमला बलूचिस्तान के तुरबत में स्थित PNS सिद्दीकी नेवल एयर स्टेशन पर हुआ है। प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) की माजिद ब्रिगेड ने तुरबत में नौसेना एयरबेस पर हमले की जिम्मेदारी ली है।

बलूचिस्तान पोस्ट के मुताबिक, बीएलए का दावा है कि उसके लड़ाके एयरबेस में घुसे हुए हैं। दरअसल, मजीद ब्रिगेड बलूचिस्तान प्रांत में चीनी निवेश का विरोध करता है और चीन और पाकिस्तान पर उस क्षेत्र के संसाधनों के दोहन का आरोप लगाता रहा है। बीएलए ने इस बेस को निशाना इसलिए भी बनाया है क्योंकि उस सैन्य अड्डे पर चीनी ड्रोन तैनात हैं।

तुरबत का ताजा हमला बीएलए मजीद ब्रिगेड द्वारा सप्ताह का दूसरा और इस साल का तीसरा हमला है। इससे पहले 29 जनवरी को इसने ग्वादर को निशाना बनाया था, जहां सैन्य खुफिया मुख्यालय है। उसके बाद 20 मार्च को भी तुरबत स्थित इसी दूसरे सबसे बड़े नौसेना एयरबेस पर हमला बोला था। 20 मार्च को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स में कई विस्फोटों और गोलीबारी की सूचना के बाद शुरू हुई लड़ाई में कम से कम दो पाकिस्तानी सैनिक और आठ आतंकवादी मारे गए थे।

पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में बताया है कि आठ आतंकवादियों के एक समूह ने पोर्ट अथॉरिटी कॉलोनी में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा बलों के जवानों ने उन्हें "सफलतापूर्वक विफल" कर दिया।

बता दें कि ग्वादर बंदरगाह चीन द्वारा नियंत्रित है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक अहम हिस्सा और महत्वपूर्ण स्थान है। चीन यहां अरबों डॉलर की सड़कें और ऊर्जा परियोजनाएं बना रहा हैं। यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का भी हिस्सा है लेकिन बलूचिस्तान के लोग इसे अपने संसाधानों पर चीन के कब्जे के रूप में देखते हैं। बलूचों का आरोप है कि ग्वादर में चल रहे चीनी प्रोजेक्ट्स से चीन को फायदा होगा। इसमें स्थानीय हितों की अनेदखी की जा रही है।

डॉन की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा नवंबर 2022 में सरकार के साथ युद्धविराम खत्म होने के बाद, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है।

 

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