Madhya pradesh creating separation in mind of child against father is mental cruelty husband got divorce from jabalpur high 2024: digi desk/BHN/जबलपुर/ जबलपुर हाईकोर्ट बेंच ने पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी देते हुए सख्त टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि पिता के खिलाफ बच्चे के मन में अलगाव पैदा करना मानसिक क्रूरता है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए तलाक की डिग्री जारी करने के आदेश जारी किए हैं।
दरअसल, मुंबई निवासी करणदीप सिंह छाबड़ा ने कुटुम्ब न्यायालय द्वारा तलाक का आवेदन खारिज किए जाने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उसने बताया कि साल 2014 में उसकी शादी जबलपुर की रहने वाले एक युवती से हुई थी। विवाह के पांच महीने बाद पत्नी गर्भवती हुई तो वह अपने माता-पिता के साथ मायके आ गई। मायके आने के बाद पत्नी ने जबलपुर में उसके परिजनों, रिश्तेदार के खिलाफ घरेलू हिंसा ,धोखाधड़ी और धमकाने का केस दर्ज करा दिए।
याचिका में पीड़ित पति ने कहा कि पत्नी बिना किसी उचित कारण के स्वेच्छा से मायके में रह रही है। उसके अपनी मर्जी से सुसराल का परित्याग कर दिया है। जिसके कारण वह वैवाहिक अधिकार से वंचित है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अनावेदक पत्नी जानबूझकर बेटी को पिता से नहीं मिलने देती थी। उसने अपनी बेटी के मन में पिता के खिलाफ अलगाव पैदा कर दिया। जिसके कारण बेटी अपने पिता के खिलाफ बोलने लगी, जो मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आता है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी दो साल की अधिक अवधि से बिना किसी उचित कारण के पति से अलग रह रही है। इसके अलावा उसने पति सहित उसके परिजनों और रिश्तेदारों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है। आवेदक पति उन प्रकरणों में जमानत पर है। युगलपीठ ने इसे मानसिक क्रूरता मानते हुए कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए तलाक की डिग्री जारी करने के आदेश दिए हैं।