- MPPSC प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए तीन विवादित प्रश्नों का मामला
- हाई कोर्ट ने पीएससी सचिव को हाजिर होने दिए निर्देश
- फ्रीडम आफ प्रेस से जुड़े एक सवाल पर कोर्ट ने विषय विशेषज्ञों ने मांगी थी रिपोर्ट
Madhya pradesh jabalpur mp high court unhappy with experts report on controversial questions of mppsc hearing before main examination: digi desk/BHN/जबलपुर/ हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा, 2023 के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए तीन विवादित प्रश्नों से जुड़े मामले में सुनवाई की तिथि 12 मार्च के स्थान पर सात मार्च निर्धारित कर दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि 11 मार्च को पीएससी-2023 की मुख्य परीक्षा है।
पीएससी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं
उल्लेखनीय है कि पूर्व में कोर्ट ने विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया था। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने 12 मार्च को पीएससी के सचिव को हाजिर होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। किंतु अब उन्हें सात मार्च को आना होगा। दरअसल, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम रूप से मुख्य परीक्षा में शामिल कराने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता का चयन याचिका के अंतिम निर्णय से बाध्य होगा।
फ्रीडम ऑफ प्रेस से जुड़ा सवाल
याचिकाकर्ता भोपाल के अभ्यर्थी आनंद यादव ने राज्य सेवा परीक्षा, 2023 के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए तीन विवादित प्रश्नों को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा। उन्हाेंने दलील दी कि फ्रीडम आफ प्रेस से जुड़े एक सवाल पर कोर्ट ने विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट तलब की थी।
पीएससी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं
पीएससी की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट को संतोषजनक न पाते हुए कोर्ट ने सचिव को तलब किया। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा के पीएससी अपने गलत प्रश्न को किसी भी तरह सही साबित करने का प्रयास कर रहा है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट पीएससी के एक्सपर्ट की कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी भी की।