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Inspiration Story: एक गांव की 11 बहुओं ने पेश की अनूठी मिसाल, सास का बनवाया मंदिर

Inspiration Story:digi desk:BHN/ सास और बहू के बीच विवाद की घटनाएं सुनने को मिलती रहती हैं। रिश्तों में खटास के चलते घर का माहौल भी तनावपूर्ण हो जाता है। रतनपुर में तंबोली परिवार की बहुओं ने सास और बहू के बीच रिश्ता कैसा होना चाहिए,अनूठी मिसाल पेश की है। तंबोली परिवार की विशेषता ये कि 39 सदस्यों के संयुक्त परिवार में सभी साथ-साथ रहते हैं।

गीता देवी अपनी 11 बहुओं को बेटी की तरह रखती थीं। सभी तरह की आजादी बहुओं को थी। घर के कामकाज में हाथ बंटाने से लेकर छोटे से बड़े निर्णयों में इनकी सहभागिता भी बराबर की रहती है। ठीक उसी तरह जैसे बेटियां अपने घर में माता-पिता के बीच अधिकार जमाती हैं। संयुक्त परिवार की बहुओं को कभी यह नहीं लगा कि वे दूसरे घर से आईं हैं और उनके साथ अलग बर्ताव किया जाता है।

सास और बहू के बजाय मां और बेटी का रिश्ता इनके बीच रहा है। तंबोली परिवार की एक ही रसोई है। सभी साथ-साथ रहते हैं। बहुओं को बेटियों की तरह रखने और अधिकार देने वाली सास गीता देवी का निधन हो गया। उनके निधन के बाद सभी 11 बहुओं ने परिवार के पुस्र्ष सदस्यों के बीच अपनी मां जैसी सास का मंदिर बनवाने का प्रस्ताव रख दिया।

घर के सदस्यों ने मिलकर गीता देवी के नाम से मंदिर बनवाया और उनकी प्रतिमा स्थापित कर दी। सभी बहुएं और घर के सदस्य प्रतिदिन गीता देवी की प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा अर्चना करती हैं। उनकी याद में महीने में एक दिन गरीबों को भोजन भी कराती हैं।

परिवार के बुजुर्ग सदस्य हैं शिव प्रसाद

करैहापारा में सेवानिवृत शिक्षक शिव प्रसाद परिवार के 39 सदस्यों के साथ निवास करते हैं। 77 बरस के शिव प्रसाद बताते हैं कि वर्ष 2010 में उनकी पत्नी गीता देवी का निधन हो गया। निधन के दो वर्ष बाद वर्ष 2012-13 में परिवार की सभी 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनाने का निर्णय लिया और इस निर्णय से परिवार के सभी सदस्यों को अवगत कराया।

वे बताते हैं कि गीता ने अपनी सभी बहुओं को बेटी की तरह स्नेह दिया और इसी तरह उन्हें रखा भी। जाहिर सी बात है उनके निर्णय पर हम सभी ने अपनी सहमति दे दी और गीता देवी का मंदिर बनाने के साथ ही उनकी प्रतिमा स्थापित कर दी। सभी 11 बहुओं के साथ परिवार के सभी सदस्य रोजाना मंदिर में गीता की प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा अर्चना करते हैं। यह दिखावे के लिए बल्कि उनके प्रति श्रद्धा और स्नेह का भाव रखने के लिए ऐसा करते हैं।

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