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MP: किडनी, लिवर दान कर तीन लोगों को नया जीवन दे गई वैशाली

Madhya pradesh indore green corridor in indore vaishali of indore gave new life to three people by donating kidney and liver: digi desk/BHN/इंदौर/ जीते जी तो हम कई लोगों के काम आ ही जाते हैं, लेकिन मरने के बाद भी हम लोगों के काम आ सकते हैं। इस भावना के साथ सभी लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए। इंदौर की एक महिला निधन के बाद तीन लोगों को नया जीवन दे गई है। इंदौर में मंगलवार को दो ग्रीन कारिडोर बनाए गए। यह 52वां ग्रीन कारिडोर था।

वेंकटेश नगर निवासी 51 वर्षीय वैशाली पारीख को ब्रेन हेमरेज के चलते मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित किया। इसके बाद परिवार में शामिल लोगों ने अंगदान की इच्छा जताई। महिला की एक किड़नी मेदांता में भर्ती 50 वर्षीय महिला, दूसरी किड़नी शैल्बी अस्पताल में भर्ती 37 वर्षीय पुरुष और लिवर चोइथराम अस्पताल में भर्ती 64 वर्षीय पुरुष को प्रत्यारोपण के लिए दिया। इसके लिए पहला ग्रीन कारिडोर मेदांता से चोइथराम अस्पताल के लिए रात 8 बजे बना और रात 8.17 बजे किडनी पहुंच गई। वहीं दूसरा ग्रीन कारिडोर शैल्बी के लिए रात 8.17 बजे बना। यहां रात 8.25 बजे दूसरी किडनी पहुंची।

रात में हुआ सिर दर्द, सुबह उठी नहीं

स्वजन सुदर्शन ने बताया कि शुक्रवार को वैशाली का सिर दर्द करने लगा और उल्टी हुई। इसके बाद वह सो गई थी। शनिवार सुबह 6.30 बजे उन्हें उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं उठी। इसके बाद इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे, यहां एमआरआइ हुई। बता दें कि पति प्रदीप पारिक का इलेक्ट्रानिक होलसेल का कारोबार है। वहीं बेटा शुभम बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है। सूचना के बाद वह भी इंदौर आ गया था। इसके बाद स्वजन को अंगदान के बारें में जानकारी मिली तो सभी राजी हुए। मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी, संदीपन आर्य ने परिवार के लोगों से बात की और अंगदान के महत्व को समझाया था।

10 वर्षो में साढ़े बारह हजार से अधिक नेत्रदान

बता दें कि इंदौर में पिछले दस साल में साढ़े बारह हजार से अधिक नेत्रदान, 760 त्वचा दान और 300 से अधिक देह दान हुए हैं। इस वजह से 300 से अधिक लोगों को नई जिंदगी मिली है। दरअसल, ब्रेनडेड मरीजों के अंगों को दान में लेकर उन्हें विभिन्न अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कारिडोर बनाया जाता है।

न अंगों का हो सकता है दान

अंगदान के लिए इंदौर में अब पहले से काफी बेहतर सुविधाएं हैं। साथ ही इस महादान के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। इसके चलते यहां शरीर के विभिन्न हिस्सों के साथ लोग पूरी देह का दान भी कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो जीवित रहते हुए यह सहमति दे सकते हैं कि मृत्यु के बाद मेरे इन अंगों का दान ले लिया जाए। दान किए जा सकने वाले अंगों में कार्निया, हृदय के वाल्व, हड्डी, त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्नाशय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेनडेड के मामले में ही दान किया जा सकता है।

23 वर्ष पूर्व हुआ था पहला अंगदान

इंदौर में पहला अंगदान जो हुआ था, उसके पीछे एक माता-पिता का अपने बेटे के अंगों का दान करने का निर्णय था। यह महादान 23 वर्ष पहले 24 अप्रैल 2000 को हुआ था। विजय नगर निवासी बैंक अधिकारी दिलीप मेहता के 14 वर्षीय इकलौते पुत्र मयंक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में उपचार के दौरान डाक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। उस दुखद समय में भी परिवार ने दिल को मजबूत करके पुत्र के अंगों का दान करने का निर्णय लिया था। इसके बाद मयंक की दोनों किडनियां, त्वचा और आंखें दान की गईं।

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