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MP: High Court का सरकार से सवाल- मैदान में होने वाले कार्यक्रम से पहले कैसे जांचते हैं सुरक्षा व्यवस्था..!

Madhya pradesh indore mp high courts question to the government how do you check the security arrangements before the program being held in the field: digi desk/BHN/इंदौर/ मैदानों को आयोजनों के लिए देने से पहले और आयोजन के दौरान वहां की सुरक्षा व्यवस्था को जांचने की व्यवस्था क्या है। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को यह सवाल शासन से पूछा है। सरकार को चार सप्ताह में जवाब देना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाए जाने के लिए आवेदन दे सकते हैं।

हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका हरभजन सिंह नामक याचिकाकर्ता ने एडवोकेट विनोद द्विवेदी के माध्यम से दायर की है। याचिका में कहा है कि अक्सर देखने में आता है कि लालबाग पैलेस, दशहरा मैदान, चिमनबाग मैदान सहित कई निजी मैदानों पर बड़े-बड़े आयोजन होते हैं। जिला प्रशासन इन आयोजनों के लिए रियायती दरों पर मैदान उपलब्ध करवा देता है, लेकिन इस बात की जांच ही नहीं करता कि आयोजन के दौरान व्यवस्था कैसी रहेगी।

याचिकाकर्ता आयोजन के विरोध में नहीं हैं

याचिकाकर्ता शासकीय मैदानों को आयोजनों के लिए देने के विरोध में नहीं है, लेकिन वह सिर्फ इतना चाहता है कि इन मैदानों को आयोजन के लिए देने से पहले इस बात की जांच की जाए कि आयोजक के पास आयोजन का लाइसेंस है या नहीं। उसने आयोजन के लिए पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम किए हैं या नहीं, आयोजन स्थल पर किसी तरह की गड़बड़ी होने पर आमजन के लिए मेडिकल व्यवस्था का इंतजाम किया गया है या नहीं।

ऐसे हादसे हो चुके हैं आयोजन के दौरान

याचिकाकर्ता का कहना है कि कुछ दिन पहले ही एक आयोजन में एक किशोरी की झूले से उतरते ही तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। आयोजक द्वारा कहा गया कि उसे मिर्गी का दौरा पड़ा था। अगर मौके पर मेडिकल टीम मौजूद होती तो शायद किशोरी की जान बच जाती। इसी तरह कुछ दिन पहले एक बड़े आयोजन में करंट लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

अलग-अलग बिंदुओं पर की जाए जांच

याचिका में गुहार लगाई गई है कि आयोजनों के लिए शासकीय अनुमति देने से पहले अलग-अलग बिंदुओं पर जांच की जाए, इसके बाद ही आयोजन की अनुमति दी जाए। हाई कोर्ट की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के आरंभिक तर्क सुनने के बाद सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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