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एयरबस ने ए220 विमान के दरवाजे बनाने के लिए भारतीय कंपनी को दिया ठेका

नई दिल्ली

 एयरबस ने अपने ए220 विमानों के सभी दरवाजे बनाने का ठेका एक भारतीय कंपनी को दिया है।

इसे 'मेक इन इंडिया' पहल के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य लोगों की उपस्थिति में एक समारोह में  यह घोषणा की गई।

हालांकि, ठेके से जुड़ी वित्तीय जानकारी साझा नहीं की गई है।

यह ठेका बेंगलुरु स्थित डायनेमैटिक टेक्नोलॉजीज को दिया गया है। वह पहले से ही एयरबस ए330 और ए320 विमानों के 'फ्लैप ट्रैक बीम' का विनिर्माण करती है।

यह किसी भारतीय वैमानिकी विनिर्माण कंपनी के लिए सबसे बड़े निर्यात ठेकों में से एक है।

यह एयरबस द्वारा किसी भारतीय आपूर्तिकर्ता को दिया गया दरवाजों से जुड़ा ठेका है। उसने ए320 विमान के 'बल्क' और 'कार्गो' दरवाजे के निर्माण का ठेका 2023 में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड को दिया था।

सिंधिया ने कहा कि भारत विमान कलपुर्जा विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक गंतव्य बन रहा है।

उन्होंने कहा कि एयरबस के लिए भारत में निवेश करने का यह सही समय है। विमान विनिर्माता का लक्ष्य देश से विमान कलपुर्जों की 'सोर्सिंग' को 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है।

पिछले साल यह 75 करोड़ डॉलर था।

 

धोखाधड़ी से बचाने को एईपीएस की बढ़ेगी सुरक्षा

मुंबई
 भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के जरिये लेनदेन के दौरान ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एईपीएस की सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने  चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बताया कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) संचालित एईपीएस के ग्राहकों को डिजिटल भुगतान लेनदेन करने में सक्षम बनाती है। वर्ष 2023 में 37 करोड़ से अधिक ग्राहकों ने एईपीएस के माध्यम से लेनदेन किया। यह वित्तीय समावेशन में एईपीएस द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा करता है।

दास ने बताया कि एईपीएस लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, बैंकों द्वारा पालन की जाने वाली एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों के लिए अनिवार्य ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव है। इसके तहत अतिरिक्त धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन आवश्यकताओं पर भी विचार किया जाएगा। इस संबंध में शीघ्र ही निर्देश जारी किये जायेंगे।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा विशेष रूप से प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) की आवश्यकता को प्राथमिकता दी है। हालांकि आरबीआई ने कोई विशेष एएफए निर्धारित नहीं किया है लेकिन भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने बड़े पैमाने पर एसएमएस-आधारित वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को अपनाया है।
दास ने कहा कि प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ हाल के वर्षों में वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र उभरे हैं। डिजिटल सुरक्षा के लिए ऐसे तंत्रों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सिद्धांत-आधारित 'डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए रूपरेखा' अपनाने का प्रस्ताव है। इस संबंध में निर्देश अलग से जारी किये जायेंगे।

 

 

 

 

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