इजराइल चाहता है कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को माना जाए आतंकी संगठन
सुरक्षा परिषद की बैठक में मध्य पूर्व में तनाव कम करने पर सहमति
इजराइल चाहता है कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को माना जाए आतंकी संगठन
तेल अवीव
अपनी धरती पर ईरानी हमले को विफल करने के बाद, इजराइली सरकार चाहती है कि दुनिया ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) को एक आतंकवादी संगठन करार दे।विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने अपने ब्रिटिश और फ्रांसीसी समकक्षों से इस बारे में बात की है।
इज़राइल ने आईआरजीसी पर कई आरोप लगाए हैं। आरोप है कि वह हमास, हिजबुल्लाह और हौथियों के हमलों में शामिल रहा है।
इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, युद्ध कैबिनेट की बैठक में ईरान के खिलाफ जवाबी हमले को अंतिम रूप दिया गया है। लेकिन हमले के समय को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
इज़राइल ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन जुटाना चाहता है।
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एक पूर्व मेजर जनरल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि ईरान पूरी ताकत से इजराइल पर हमला नहीं करेगा। रविवार को किया गया हमला, सिर्फ अपने लोगोें को यह समझाने के लिए था कि वह हमला कर सकता है।
उन्होंने कहा कि इजराइल ईरान की क्षमताओं को जानता है। अगर उसने इजराइल पर घातक हमला करने की कोशिश की, तो उसका गंभीर परिणाम हो सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान यह जानता है।
हिब्रू और अरबी मीडिया ने बताया है कि इज़राइल जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है और समय व तरीका अभी स्पष्ट नहीं है।
सुरक्षा परिषद की बैठक में मध्य पूर्व में तनाव कम करने पर सहमति
संयुक्त राष्ट्र,
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक में मध्य पूर्व में तनाव कम करने पर सहमति जताई गई। इसके पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि मध्य पूर्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा है।
परिषद की अध्यक्ष वैनेसा फ्रेज़ियर ने ईरान द्वारा इज़राइल पर किए गए हमले के बाद आयोजित बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मध्य पूर्व में तनाव घटाने पर सब की राय एक समान है।
शनिवार को ईरान के हमले के बाद इजराइल के अनुरोध पर बुलाई गई बैठक में इजराइल और ईरान के बीच आरोप-प्रत्यारोप हुए। अमेरिका और ब्रिटेन ने ईरान की निंदा की और रूस ने तेहरान का बचाव किया।
बैठक के पूर्व यूएन महासचिव गुटेरेस कहा था कि क्षेत्र के लोग विनाशकारी खतरे का सामना कर रहे हैं। अब तनाव कम करने का और अधिकतम संयम बरतने का समय है।
बैठक में ईरान द्वारा इजराइली स्वामित्व वाले जहाज एरीज़ पर कब्जे का मुद्दा भी उठा। कई देशों ने भारतीयों सहित चालक दल की रिहाई की मांग की।
इजराइल के स्थायी प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने परिषद से न केवल उसके देश पर किए हमले की निंदा करने की मांग की, बल्कि अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि ईरान की ओर से दागी गई लगभग सभी मिसाइलों और ड्रोनों को इजराइल और उसके सहयोगियों ने अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि तेहरान को हमले के लिए दंडित नहीं किया जाएगा।
एक वीडियो दिखाते हुए, एर्दान ने कहा कि इसमें इज़राइल को सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक, यरूशलेम की अल-अक्सा मस्जिद पर मिसाइलों और ड्रोन को निष्क्रिय करते हुए दिखाया गया है और कहा कि तेहरान ने शियाओं के प्रभुत्व के लिए यहां हमला किया था।
ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरावानी ने कहा कि तेहरान सीरिया में अपने राजनयिक मिशन पर हमला करने और कर्मचारियों की हत्या पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोग कर रहा है।
उनके देश ने इज़राइल पर हमला करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि परिषद ने उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
अमेरिकी उप प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने कहा कि उनका देश " तनाव बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहा है", लेकिन वह खुद की रक्षा करने के इजराइल के अधिकार का समर्थन करता है।"
वुड ने ईरान के आत्मरक्षा के दावों का खंडन करते हुए कहा," ईरानी कार्रवाई रक्षात्मक कार्रवाई नहीं हैं।"
परिषद में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वासिली नेबेंज़िया ने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर ईरान के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा,“आपके लिए पश्चिमी मिशनों और पश्चिमी नागरिकों से संबंधित हर चीज़ पवित्र है और इसकी रक्षा की जानी चाहिए। लेकिन जब बात अन्य राज्यों, उनके नागरिकों के आत्मरक्षा के अधिकार की आती है, तो आपका रवैया अलग होता है। ”
उन्होंने कहा, पश्चिमी देशों ने सीरिया में ईरानी राजनयिक मिशन पर इजराइल के हमले पर कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने जोर देकर कहा,“14 अप्रैल की रात को जो हुआ वह अचानक नहीं हुआ। ईरान का हमला दमिश्क पर इजराइल के हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शर्मनाक निष्क्रियता का जवाब था।”
नेबेंज़िया ने कहा, "मध्य पूर्व में टकराव बढ़ने का खतरा है, इसलिए हम घटना में शामिल सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करते हैं।"
परिषद ने फिलिस्तीन की स्थिति पर एक खुली बहस निर्धारित की है। इसमें सदस्य राष्ट्र भाग ले सकते हैं।
इजरायल ने ब्रिटेन, फ्रांस से ईरान पर गंभीर प्रतिबंध लगाने का किया आग्रह
यरूशलेम
इजरायल के विदेश मंत्री इजरायल काट्ज ने ब्रिटेन और फ्रांस में अपने समकक्षों से बातचीत के बाद कहा कि यरूशलेम चाहता है कि उसके सहयोगी ब्रिटेन और फ्रांस ईरान के मिसाइल कार्यक्रम पर गंभीर प्रतिबंध लगाकर उसे कमजोर करने में मदद करें।
श्री काट्ज ने कहा,“मैंने उनसे कहा- अब समय आ गया है कि आप ईरानी शासन को कमजोर करें, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करें और ईरानी मिसाइल परियोजना पर कठोर प्रतिबंध लगाएं। ईरान को इसकी कीमत चुकानी होगी।”
इजरायली विदेश मंत्री ने ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड कैमरन और फ्रांस के विदेश मंत्री स्टीफन सेजॉर्न को इजरायल पर ईरानी ड्रोन तथा मिसाइल हमले को विफल करने में उनके देशों की सहायता तथा उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।