सेज सजी है बाणों की…… सेज सजी है बाणों की जिसमे भीष्म पितामह सोये है! रण की भेरी के किस्से सुनकर वो नित दिन ही रोये है!! क्यों तुम इतने बेबस लाचार बने बाणों की सैया में लेटे हो! तुम तो इच्छा मृत्यु के वरदान तले कितने ही युद्ध जीते …
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