भरतपुर
केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में शामिल किए जाने की मांग को लेकर भरतपुर-धौलपुर के जाटों ने बुधवार को मुंबई-दिल्ली रेल मार्ग के पास जयचौली गांव में महापड़ाव का आगाज किया। आरक्षण की मांग कोलेकर बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग महापड़ाव में शामिल हुए और जुटान लगातार बढ़ रहा है। भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा कि फिलहाल आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ है, लेकिन यदि सरकार ने नहीं सुनी तो भरतपुर जिले से गुजरने वाले सभी रेलवे मार्ग और सड़कों को जाम कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल भी भरतपुर से ही हैं।
भरतपुर के उच्चैन तहसील के गांव जयचौली रेलवे स्टेशन के पास महापड़ाव शुरू किया गया है। जाट समाज के लोग यहां टेंट लगा कर बैठ गए हैं। नेम सिंह फौजदार ने केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दिया। 7 जनवरी को हुंकार सभा में चेतावनी दी गई थी कि जाटों को आरक्षण नहीं दिया तो 17 जनवरी को जयचोली गांव में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के पास महापड़ाव डाला जाएगा। अगर सरकार नहीं मानी तो दूसरा पड़ाव बेडम गांव और तीसरा रारह में होगा। दूसरे और तीसरे पड़ाव की तारीख अभी तय नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले रेल रोकेंगे। इसके बाद रोड जाम करेंगे।
भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग 1998 से चली आ रही है। 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद अगस्त 2015 में भरतपुर-धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा राज में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया। लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया।
सितंबर 2021 में जब जाट समाज ने चक्का जाम का ऐलान किया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 दिसंबर 2021 को दोनों जिलों के जाटों को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश पत्र लिखा था। जिसके बाद आरक्षण संघर्ष समिति ने दिल्ली ओबीसी कमीशन मिली। केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात की लेकिन आरक्षण नहीं दिया गया।