अजमेर.
विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स का झंडा 8 जनवरी की शाम अजमेर दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा। इसके बाद से उर्स में हाजिरी देने के लिए आने वाले जायरीन का सिलसिला शुरू होगा। झंडा चढ़ाने के साथ ही ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो जाएगी।
दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि इसी दिन से दरगाह के आस्ताना में दोपहर ढाई बजे होने वाली खिदमत का समय बदलकर रात्रि 8 बजे हो जाएगा। यह व्यवस्था छठी के कुल के बाद सामान्य दिनों की तरह हो जाएगी। उन्होंने बताया कि गरीब नवाज के सालाना उर्स में देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में जायरीन अजमेर दरगाह शरीफ पहुंचते हैं, अकीदत के फूल और मखमली चादर पेश कर गरीब नवाज की बारगाह में हाजिरी लगाते हैं। 812वें उर्स के बुलंद दरवाजा पर झंडा चढ़ाने की रस्म भीलवाड़ा का गौरी परिवार करेगा। यह झंडा उर्स के समापन पर उतारा जाएगा। आठ जनवरी की शाम असर की नमाज के बाद झंडा चढ़ाने की रस्म अदा की जाएगी। इसी दिन से दरगाह में रोजाना दोपहर ढाई बजे होने वाली खिदमत की रस्म का समय बदलकर रात्रि आठ बजे हो जाएगा।
12 जनवरी को चांदरात होने के कारण सुबह दरगाह का आस्ताना खुलने के साथ जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा। इसी शाम देहली से पैदल आ रहे कलंदर जुलूस के रूप में छड़ी पेश करेंगे। हिलाल कमेटी ने चांद दिखने का ऐलान किया तो छठी तक रोजाना रात्रि में उर्स की शाही महफिल और ख्वाजा साहब की मजार के शाही गुस्ल की रस्म शुरू हो जाएगी। चांद नहीं दिखने पर सभी कार्यक्रम 13 जनवरी से प्रारम्भ होंगे।