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बलात्कारियों के लिये कब्रगाह बना यूपी,13 को मृत्युदंड, 291 को उम्रकैद

लखनऊ
माफियाराज पर नकेल कसने के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2023 में महिला अपराधों के प्रति भी गंभीर रुख अपनाया है। पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते बलात्कार की घटनाओं में संलिप्त 13 मुल्जिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी जबकि 291 को ताउम्र जेल में बिताने का आदेश दिया।

पुलिस के पास मौजूद रिकार्ड के अनुसार अधिनस्थ न्यायालयों में कुल एक लाख 52 हजार 594 मामलों में तथा सत्र न्यायालयों में सात हजार 285 मामलों में अपराधियों को सजा कराई गई है जबकि पाक्सो एक्ट में 13 मामलों में मृत्युदंड, 291 मामलों आजीवन कारावास, 1101 मामलों में 10 साल की सजा, और 1334 मामलों में 10 साल से कम की सजा दिलाई गई है।

पाक्सो एक्ट के अंतर्गत चार्जशीट दाखिल होने के एक माह के अंदर 34 मामलों में और दो माह से भी कम समय में 74 मामलों में सजा कराई गई है। महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ होने वाले विभिन्न अपराधों में 4312 मामलों में सजा कराई गई है। जिलों के टॉप 10 अपराधियों में 77 मामलों में 83 अपराधियों को प्रभावी पैरवी के जरिए दोषी सिद्ध कराया जा चुका है। यूपी के 32 जिलों में गैंगेस्टर एक्ट के तहत 5775 करोड़ से अधिक की संपत्तियां जब्त की गई हैं।

दशकों तक आतंक का पर्याय रहे यूपी के सबसे कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी को इस साल सबसे बड़ी चोट मिली है। बड़े माफिया के अलावा इलाकाई गुंडे-बदमाश और शोहदों के खिलाफ भी ताबड़तोड़ कार्रवाइयां हुई हैं। मुख्तार को 2023 में एक के बाद एक चार मामलों में सजा सुनाई गई है, जिसमें आजीवन कारावास जैसी अधिकतम सजा भी शामिल है। माफिया के आर्थिक 604 करोड़ से अधिक के साम्राज्य को भी पूरी तरह से मिट्टी में मिलाया जा चुका है। इसके अलावा प्रयागराज के अतीक गैंग का भी समूल विनाश हो चुका है। वहीं विजय मिश्रा, अनुपम दूबे, सऊद अख्तर, धर्मेन्द्र व संजय सिंघला जैसे बड़े माफिया को योगी राज में कानून के जरिए उनके गुनाहों की सजा मिल चुकी है।

प्रदेश में व्यापारियों से रंगदारी ओर महिलाओं से छेड़खानी करने वाले तत्व या तो सलाखों के पीछे पहुंचा दिये गये या पुलिस मुठभेड़ में ढेर किये जा चुके हैं। इसके अलावा यूपी पुलिस को मजबूत बनाने के लिए इस साल 60 हजार से अधिक कांस्टेबल की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के क्राइम रेट 258.1 प्रतिशत के सापेक्ष यूपी में अपराध की दर 171.6 प्रतिशत है। दर्ज मुकदमों के आधार पर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले यूपी 20वें स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है। जो यह दर्शाता है कि कई राज्यों की तुलना में यूपी में अपराधिक घटनाओं में काफी कमी आई है।

सेफ सिटी परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए योगी सरकार की ओर से युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। सेफ सिटी परियोजना के पहले चरण के तहत 17 नगर निगमों व गौतमबुद्ध नगर में इन्टीग्रेशन के लिए 21,968 कैमरों लगाए जा रहे हैं। इसमें से 15,732 को कण्ट्रोल रूम से इन्टीग्रेट किया जा चुका है। शहरों को पूरी तरह से सीसीटीवी सर्विलांस से ना सिर्फ अपराधों में कमी आ रही है बल्कि आपराधिक घटनाओं का खुलासा भी त्वरित गति से हो रहा है। इसके अलावा साइबर अपराध के मामलों को देखते हुए प्रदेश में 57 साइबर थानों की स्थापना भी एक नजीर बन गया है। यही नहीं प्रदेश में पुलिस के इकबाल को मजबूत करते हुए ना सिर्फ नई बैरकों का निर्माण हो रहा है बल्कि साल का अंत होते होते अबतक की सबसे बड़ी 60 हजार से अधिक कांस्टेबल भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

 

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