- अगले साल फरवरी में होगा मंदिर का उद्घाटन
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी होंगे उद्घाटन में शामिल
- यूएई ही नहीं पूरे अरब वर्ल्ड में पहला इतना बड़ा मंदिर
दुबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले साल 14 फरवरी को अबू धाबी में हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। मंदिर का निर्माण कर रही संस्था बीपीएस के स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्म बिहारी दास ने नरेंद्र मोदी को मंदिर उद्घाटन के लिए निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में बन रहा ये पहला इतना बड़ा हिंदू मंदिर है। यह अयोध्या के मंदिर की तरह काफी भव्य और शानदार है।यह मंदिर करीब 55,000 वर्ग मीटर में बन रहा है और इसे भारतीय कारीगरों ने ही तराशा है। भारत और यूएई को बीच सद्भाव के प्रतीक के तौर पर इस मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर में कई खास बातें हैं।
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई की अपनी यात्रा पर गए थे, तब इस मंदिर को लेकर चर्चा हुई थी। जिसके लिए यूएई की सरकार ने आबू धाबी में मंदिर के लिए जमीन दान की थी। दो साल बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए इस मंदिर की नींव रखी गई। मंदिर के निर्माण में 50,000 से अधिक लोगों ने ईंटें रखी हैं, जिनमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के अलावा अभिनेता संजय दत्त और अक्षय कुमार भी शामिल हैं। बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बीएपीएस) इस मंदिर के निर्माण का कामकाज देख रही है। बीएपीएस एक ऐसी संस्था है, जिसने दुनियाभर में 1,100 से ज्यादा हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है। दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण भी इसी संस्था ने किया है।
108 फीट है अबू धाबी के मंदिर की ऊंचाई
पश्चिम एशिया के इस सबहसे बड़े हिन्दू मंदिर को बनाने में वैदिक वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में की गई जटिल नक्काशी और मूर्तियां भारत में भी बनकर तैयार हुई हैं, जिनको विशेष व्यवस्था कर मंदिर तक पहुंचाया गया है। भारत के कई कारीगर अबू धाबी में भी मंदिर निर्माण में जुटे हैं। इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है, जिसमें 40 हजार क्यूबिक मीटर संगमरमर और 180 हजार क्यूबिक मीटर बलुआ पत्थर लग रहा है। इसके बनने में करीब 700 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। मंदिर के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने दान दिया है।
मंदिर के डिजाइन में सात शिखर होंगे, जिनमें से प्रत्येक संयुक्त अरब अमीरात का प्रतीक होगा। इसका उद्देश्य बहुसांस्कृतिक परिदृश्य में एकता और सद्भाव को बढ़ाना है। अपने धार्मिक कार्यों से परे मंदिर परिसर में कक्षाएं, प्रदर्शनी केंद्र और बच्चों के लिए खेल के मैदान होंगे, जो एक बहुआयामी सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण करेंगे। मंदिर का उद्घाटन एक भव्य समारोह में किया जाएगा, जो 10 फरवरी, 2025 को शुरू होगा और 14 फरवरी को समाप्त होगा। इसे कार्यक्रम को "सद्भाव का त्योहार" नाम दिया गया है।