नई दिल्ली
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ को लिखे एक पत्र में भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि सत्तापक्ष ‘‘लोकतंत्र को कमजोर करने, संसदीय परंपराओं को नष्ट करने और संविधान का गला घोंटने'' के लिए सांसदों के निलंबन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। धनखड़ को लिखे जवाबी पत्र में खरगे ने यह भी कहा कि सभापति का पत्र ‘‘दुर्भाग्य से संसद के प्रति सरकार के निरंकुश और अहंकारी रवैये को उचित ठहराता है।''
संविधान का गला घोंटने के लिए निलंबन हथियार बनाया
पत्र में सभापति द्वारा उल्लेखित कुछ बिंदुओं का जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने उनसे ‘‘राज्यसभा के सभापति के रूप में निष्पक्षता और तटस्थता के साथ'' विपक्ष की चिंताओं पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने पत्र में दावा किया, ‘‘सत्तारूढ़ दल ने वास्तव में लोकतंत्र को कमजोर करने, संसदीय प्रथाओं को नुकसान पहुंचाने और संविधान का गला घोंटने के लिए सदस्यों के निलंबन को एक सुविधाजनक हथियार बना दिया है।'' खरगे का कहना था, ‘‘विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए विशेषाधिकार प्रस्तावों को भी हथियार बनाया गया है। यह संसद को कमजोर करने के लिए सत्तापक्ष द्वारा जानबूझकर तैयार की गई रणनीति है। सांसदों को निलंबित करके सरकार कुल मिलाकर 146 सांसदों के क्षेत्रों के मतदाताओं की आवाज को चुप करा रही है।''
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘आपने यह भी उल्लेख किया है कि सदन में अव्यवस्था इरादतन और पूर्व निर्धारित थी। मैं यह कहना चाहूंगा कि संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सांसदों का सामूहिक निलंबन सरकार द्वारा पूर्व निर्धारित और पूर्व नियोजित प्रतीत होता है। मुझे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि बिना सोचे-समझे इसे अंजाम दे दिया गया। ‘इंडिया' गठबंधन से संबंधित एक सदस्य को निलंबित कर दिया गया जबकि वह सदन में मौजूद भी नहीं थे।'' खरगे ने कहा, ‘‘सदन के संरक्षक के रूप में सभापति को संसद में अपनी सरकार को जवाबदेह ठहराने के लोगों के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।'' उपराष्ट्रपति धनखड़ ने गत 23 दिसंबर को खरगे को लिखे पत्र में कहा था कहा कि सदन में व्यवधान इरादातन और रणनीति के तहत था। धनखड़ ने पत्र में कहा था, ‘‘इस प्रकरण में मुख्य विपक्षी दल की पूर्वनियोजित भूमिका की ओर इंगित करके मैं आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता, लेकिन जब कभी भी मुझे आपसे बातचीत करने का अवसर मिलेगा मैं आपसे वह साझा अवश्य करूंगा।''
धनखड़ ने खरगे को संसद में व्यवधान और विपक्षी सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर बातचीत के लिए 25 दिसंबर को अपने आवास पर आमंत्रित किया था। खरगे ने जवाबी पत्र में कहा कि वह फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं और वापस आते ही सभापति से मिलेंगे। शीतकालीन सत्र के खत्म होने के बाद भी धनखड़ और खरगे के बीच पत्राचार हुआ था। सदन में तख्तियां लहराने और नारे लगाने के आरोप में शीतकालीन सत्र में कुछ दिनों के भीतर ही 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया । इनमें से ज्यादातर सदस्यों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया था और सत्र समाप्ति के बाद उनका निलंबन भी स्वत: ही समाप्त हो चुका है। लेकिन कुछ सदस्यों के मामले को विशेषाधिकार समिति के विचारार्थ भेजा गया था और समिति की रिपोर्ट आने तक उनका निलंबन जारी रहेगा। शीतकालीन सत्र के बाद दोनों सदनों की बैठक बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसद 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक की घटना को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे थे।