National Commission for Schools:digi desk/BHN/ केंद्र सकार यूजीसी की तर्ज पर स्कूलों के लिए भी राष्ट्रीय बोर्ड बनाने पर विचार कर रही है। इसका मकसद यह है कि देशभर में सीबीएसई और राज्यों के बोर्डों से संबद्ध स्कूलों में समान स्तर की पढ़ाई सुनिश्चित की जाए। इस बारे में शिक्षाविदों ने सरकार को सुझाव भेजे हैं और खबर है कि सरकार इन पर गंभीरता से विचार कर रही है। साफतौर पर इसे देश के स्कूलों में एक जैसे मानक और गुणवत्ता के लिए काम शुरू होगा। केंद्र सरकार को यह सुझाव इसलिए भी पसंद आ रहा है क्योकि अभी देश में पूरी स्कूली शिक्षा CBSE सहित अलग-अलग राज्यों के शिक्षा बोर्डों में बंटी है। केंद्र सरकार पैसा तो दे रही है, लेकिन वह उसके उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पा रही है। वजह राष्ट्रीय स्तर पर कोई एक स्टैंडर्ड नियामक नहीं होना। राज्य अपने-अपने तरीके से काम करते हैं और मानक तय करते हैं, जो बाकी राज्यों से मेल भी नहीं खाते हैं ।
National Commission for Schools: ये फायदे
- इस आयोग के अमल में आने का सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की तर्ज पर देशभर के स्कूलों की पढ़ाई का स्तर और उनकी गुणवत्ता एक जैसी होगी।
- सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए राज्यों की भी राय ली जा रही है। जल्द कोई फैसला हो सकता है।
- इसके अमल में कोई दिक्कत नहीं है। वैसे भी इस आयोग के गठन का उद्देश्य राज्य के विषयों और अधिकारों में कोई हस्तक्षेप करने का भी नहीं है। यह सिर्फ स्कूलों की गुणवत्ता और उसका देश भर के समान स्टैंडर्ड बना रहे, इसे लेकर काम करेगा। स्कूलों के संचालन का पूरा अधिकार पहले की तरह राज्यों के पास ही होगा।