पटना
बिहार पुलिस राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर प्रभावी यातायात निगरानी के लिए नई ‘4डी इमेजिंग रडार-आधारित गति उल्लंघन पहचान प्रणाली’ शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस प्रणाली में 4डी रडार और नंबर प्लेट पढ़ने और साक्ष्य कैप्चर करने के लिए एक लेन वीडियो कैमरा शामिल है।
कई लेन को ‘कवर’ कर सकती है यह प्रणाली
बिहार पुलिस (यातायात) के अपर महानिदेशक (एडीजी) सुधांशु कुमार ने मंगलवार को कहा, “फरवरी, 2024 से राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात की निगरानी के लिए यातायात पुलिस नई ‘4डी इमेजिंग रडार-आधारित गति उल्लंघन पहचान प्रणाली” के साथ काम करना शुरू कर देगी। इस प्रणाली का संचालन सरल है। यातायात पुलिस के वाहन के शीर्ष पर स्थापित यह प्रणाली कई लेन को ‘कवर’ कर सकती है। गति को रडार द्वारा मापा जाता है जबकि लेन वीडियो कैमरे उल्लंघन करने वाले वाहन की नंबर प्लेट को स्वचालित रूप से रिकॉर्ड करेंगे।” उन्होंने कहा कि यह प्रणाली बेहद सटीक है… यह वीडियो-आधारित प्रणाली के विपरीत वाहन की गति का तुरंत अनुमान लगा सकती है और इससे राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं की संख्या रोकने में काफी मदद मिलेगी।
पहली बार बिहार में शुरू की जाएगी यह तकनीक
एडीजी ने कहा कि प्रभावी यातायात निगरानी के लिए यह तकनीक पहली बार बिहार में शुरू की जाएगी। उनका कहना था कि रात में भी उल्लंघनों को रिकॉर्ड करने के लिए उसमें कैमरें हैं तथा ‘रेड-लाइट जंपिंग’, ‘गलत साइड ड्राइविंग’, ‘दोपहिया वाहनों पर ट्रिपल राइडिंग’ जैसे उल्लंघनों को भी रिकॉर्ड कर सकता है। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी तथा शुरुआत में इसे राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर 56 बिंदुओं पर शुरू किया जाएगा। उनमें एनएच-दो, 28, 30, 31 और 57 शामिल हैं। एडीजी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के अंत तक इसे राज्य से गुजरने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू कर दिया जाएगा। कुल मौतों में से कम से कम 44 प्रतिशत (सड़क दुर्घटनाओं में) बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर होती हैं, जो राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई का केवल 4.6 प्रतिशत है।
राजमार्गों पर सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों पर चिंता व्यक्त करते हुए, एडीजी ने कहा, “सरकार ऐसी मौतों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए वह कई कदम उठा रही है। हमारे पास जल्द ही राजमार्ग (राष्ट्रीय) गश्ती वाहन होंगे, जिन्हें हर 50 किलोमीटर के बाद चिन्हित स्थानों पर तैनात किया जाएगा। यह राजमार्गों पर दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”