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राजस्थान पुलिस ने नारायणगढ़ टीआई, एसआई सहित सात पर दर्ज की एफआईआर

जयपुर/मंदसौर.

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पुलिसकर्मियों पर राजस्थान पुलिस ने केस दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि टीम दबिश देने पहुंची थी और घर में मौजूद महिलाओं से अभद्र व्यवहार किया साथ ही एक सदस्य को छोड़ने के एवज में 50 लाख रुपयों की मांग की थी। नहीं देने पर एनडीपीएस एक्ट का झूठा केस दर्ज कर दिया था। बता दें कि राजस्थान के प्रतापगढ़ की थाना हथुनिया पुलिस ने मंदसौर जिले के नारायणगढ़ थाना प्रभारी जितेन्द्र सिसौदिया, एसआई संजयप्रताप सिंह, एसआई राकेश चौधरी, एसआई भारत चावड़ा, एएसआई अर्जुनसिंह, अमित मिश्रा और जितेन्द्र मालोट खिलाफ धारा 451, 330, 343, 365, 384, 389, 506, 120 बी के तहत केस दर्ज किया है।

पुलिसकर्मियों के खिलाफ पीड़िता फिजा मेवाती ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में परिवाद लगाया था। इसमें आरोप लगाया था कि मंदसौर पुलिस की टीम काली स्कार्पियों में फरियादी के घर पहुंची और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया और भाई को छोड़ने के एवज में 50 लाख रुपये की मांग की थी। नही देने पर एनडीपीएस एक्ट का झूठा केस दर्ज कर दिया था। जिले के पुलिस अधिकारी पर इस तरह का ये दूसरा मामला है। इससे पहले उत्तरप्रदेश पुलिस भी एनडीपीएस के एक मामले में मुकदमा दर्ज कर चुकी है।

फरियादी ने बताई कहानी
फरियादी फिजा पिता छोटे खां मेवाती निवासी ग्राम हथुनिया जिला प्रतापगढ़ राजस्थान ने परिवाद में बताया कि 25 अक्टूबर की रात करीब 11.30 बजे के आस-पास मेरे घर पर काले रंग की स्कार्पियों गाड़ी लेकर मंदसौर जिले के पुलिस वाले आए। इसमें नारायणगढ़ थाना प्रभारी जितेन्द्र सिसौदिया, एसआई संजयप्रतापसिंह, राकेश चौधरी, भरत चावड़ा अपनी टीम के साथ थे। इन्होंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन मैंने दरवाजा नहीं खोला। इनके साथ हाजी गफ्फूर पिता पीरू अजमेरी, मोहम्मद पिता इब्राहिम अजमेरी निवासी हथुनिया व हथुनिया थानाधिकारी शंभूसिंह भी थे। सभी जबरन बिना वारंट के घर में घुसे और सामान अस्त-व्यस्त कर दिया। इसके बाद धमकी देते हुए पूछा कि तुम्हारे पिता छोटे खां कहां है, और घर में उपस्थित महिलाओं को गाली देकर अपमानित किया।

फरियादी का दावा- पुलिस ने पैसे मांगे, मैंने बनाया वीडियो
फरियादी के मुताबिक जितेन्द्र सिसौदिया ने बताया कि तुम्हारे भाई आसिफ ने जो ट्रक राहुल मोंगिया को बेच दिया था। उसको दिनांक 25 अक्टूबर को जावरा से पकड़ा है और थाना पिपलियामंडी में रखा है। तुम्हारे भाई आसिफ व ट्रक चालक भगवतीलाल को भी थाने पर बैठा रखा है। इसके बाद वीडियो कॉल पर मेरे भाई को दिखाया। मामला रफा दफा करने लिए पिता से सम्पर्क कर 50 लाख रुपये लेकर पिपलियामंडी थाने या जितेन्द्रसिंह सिसौदिया से संपर्क करने की कहा। नहीं तो तुम्हारे भाई के साथ तुम्हारे पिता को भी एनडीपीएस एक्ट के किसी भी केस में फंसा देंगे। उक्त सारी घटना का वीडियो भी मैंने चुपके से अपने मोबाइल से बना लिया था। इस दौरान घर की तलाशी में पुलिस टीम को कोई अवैध वस्तु नहीं मिली। एक पुलिस कर्मचारी ने वाट्सएप पर वीडियो कॉल कर मेरे भाई आसिफ को दिखाया। जिसमें उसे किसी जगह पर बैठा रखा था। इसके बाद तीन दिन तक अवैध रूप से भाई को उनके कब्जे में रखा। रुपया नहीं मिलने पर उसे झूठे केस में फसा दिया।

भाई से जेल में मिली तो पता चला सच
फिजा ने बताया की जब मैं अपने भाई आसिफ से मिलने के लिए जेल में गई तो उसने बताया कि एक सफेद रंग की स्कार्पियों जिसके नंबर एमपी 09 बीसी 5500 थे। इसमें सवार होकर एसआई राकेश चौधरी, एएसआई अर्जुन सिंह, आरक्षक जितेन्द्र मालोत नामक आरक्षक ने मुझे जावरा से 25 अक्टूबर 2022 की शाम को पकड़कर पिपलियामंडी थाने में बंद कर मारपीट की थी। मेरे साथ चालक भगवतीलाल को भी पकड़ा और हमे झूठा फंसा दिया। ट्रक में जीपीआरएस लगा हुआ था।

प्रतापगढ़ एसपी ने एक ना सुनी
इस घटना की सूचना प्रतापगढ़ एसपी को भी दी गई थी। लेकिन उनके द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए परिवाद न्यायालय में लगाया गया। परिवाद के साथ प्रतापगढ़ एसपी को दी गई सूचना की सीडी व पेन ड्राइव भी कोर्ट में पेश की गई थी। जिसके बाद कोर्ट के निर्देश पर मंदसौर जिले के सात पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

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