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शिवराज और वसुंधरा कहां सेट होंगे? बीजेपी में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कहां-कहां गए ये 11 नेता

नईदिल्ली

डॉक्टर मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. कुछ ही घंटों में छत्तीसगढ़ को भी विष्णुदेव साय के रूप में नया मु्ख्यमंत्री मिल जाएगा. राजस्थान में भी भजनलाल शर्मा के रूप में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुका है. तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे जैसे कद्दावर नेताओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों पर दांव लगाया है. डॉक्टर रमन सिंह छत्तीसगढ़ विधानसभा के अगले स्पीकर होंगे. बीजेपी ने रमन को स्पीकर बनाकर सेट कर दिया है लेकिन शिवराज और वसुंधरा का क्या होग? शिवराज और वसुंधरा कहां सेट होंगे?

इन दोनों को विधानसभा स्पीकर की पोस्ट तो मिली नहीं, ऐसे में इन्हें सरकार में एडजस्ट किया जाएगा या केंद्रीय राजनीति में बड़ा रोल दिया जाएगा, इसे लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है. साल 2018 के चुनाव में जब बीजेपी को हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों में शिकस्त के बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, तब पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बना दिया था. वसुंधरा राजे अभी भी इस पद पर बनी हुई हैं. माना जा रहा है कि वसुंधरा को फिलहाल लोकसभा चुनाव तक राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बनाए रखा जा सकता है लेकिन कयास शिवराज को लेकर लगाए जा रहे हैं.

शिवराज सिंह चौहान ये साफ कह रहे हैं, बार-बार कह रहे हैं कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा. इसे राष्ट्रीय संगठन में फिर से उपाध्यक्ष पद या फिर किसी और जिम्मेदारी के लिए शिवराज की अनिच्छा से जोड़कर भी देखा जा रहा है. क्या बीजेपी सूबे की किसी सीट से 2024 के लोकसभा चुनाव में शिवराज को उतारेगी या पार्टी प्रदेश-राष्ट्रीय संगठन में कोई ओहदा देकर उनको एडजस्ट करेगी, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन फिलहाल, पुराने उदाहरणों के जरिए भी ये समझने की कोशिशें की जा रही हैं कि सीएम पद से हटने के बाद बीजेपी के नेता कहां-कहां गए?

1- उमा भारती

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने साल 2003 का विधानसभा चुनाव उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा. बीजेपी को पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चलाने का जनादेश मिला और उमा भारती सूबे की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. हालांकि, वह आठ महीने ही इस पद पर रह सकीं और एक मामले में कर्नाटक की कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उमा भारती इसके बाद यूपी से भी बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं. वह केंद्र की मोदी सरकार में भी मंत्री रहीं. बीच में बीजेपी से बगावत कर उमा भारती ने अपनी पार्टी भी बनाई जिसका बाद में बीजेपी में विलय कर दिया था. फिलहाल, उमा भारती बीजेपी में हाशिए पर चल रही हैं.

2- भगत सिंह कोश्यारी

भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री थे. साल 2002 के उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी की हार के बाद वह विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. भगत सिंह कोश्यारी सीएम पद से हटने के बाद 2007 से 2009 तक उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष, 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और 2014 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट से सांसद भी रहे. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. बाद में भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे. महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से हटने के बाद फिलहाल वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं.

3- भुवनचंद्र खंडूरी

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवनचंद्र खंडूरी 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012, दो बार उत्तरांड के मुख्यमंत्री रहे. उत्तराखंड के सीएम पद से हटने के बाद खंडूरी लोकसभा सदस्य भी रहे. फिलहाल, भुवनचंद्र खंडूरी नेपथ्य में हैं.

4- रमेश पोखरियाल निशंक

रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. उत्तराखंड के सीएम पद से हटने के बाद निशंक केंद्र की सियासत में सक्रिय हैं. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. फिलहाल, वह सांसद हैं.

4- त्रिवेंद्र सिंह रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत 2017 से 2021 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. उत्तराखंड चुनाव से करीब एक साल पहले बीजेपी ने सूबे में सीएम बदल दिया था और त्रिवेंद्र सीएम से पूर्व सीएम हो गए थे.वह फिलहाल संगठन में सक्रिय हैं. केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी की ओर से चलाए गए महासंपर्क अभियान के लिए त्रिवेंद्र को आजमगढ़, बलिया, देवरिया, बांसगांव और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी.

5- तीरथ सिंह रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाए जाने के बाद तीरथ सिंह रावत सूबे के अगले सीएम बने थे. साल 2021 में उत्तराखंड की सत्ता के शीर्ष पर काबिज हुए तीरथ सिंह रावत कुछ ही महीने तक इस पद रहे. वह लोकसभा सदस्य रहते हुए उत्तराखंड के सीएम बने थे और फिलहाल वह लोकसभा के सदस्य हैं.

6- रघुबर दास

रघुबर दास 2014 से 2019 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. चुनाव में बीजेपी हार गई और सूबे में सरकार चलाने का जनादेश झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को मिला. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद रघुबर दास को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद भी रघुबर एक्टिव पॉलिटिक्स में एक्टिव थे. फिलहाल, रघुबर दास एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर एक संवैधानिक पद पर हैं. रघुबर दास को पिछले दिनों ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया था.

7- आनंदीबेन पटेल

नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था. बीजेपी की जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और गुजरात में सरकार की कमान आनंदीबेन पटेल को सौंपी गई. आनंदीबेन थोड़े ही समय इस पद पर रहीं. आनंदीबेन फिलहाल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं.

 8- विजय रुपाणी

विजय रुपाणी 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. सीएम पद से हटने के बाद विजय रुपाणी संगठन में सक्रिय हैं. विजय रुपाणी फिलहाल पंजाब और चंडीगढ़ के प्रभारी हैं.

 

9- सर्बानंद सोनोवाल

सर्बानंद सोनोवाल 2016 से 2021 तक असम के मुख्यमंत्री रहे. असम में 2021 के विधानसभा चुनाव में जीतकर बीजेपी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई लेकिन सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंता बिस्व सरमा सीएम बनाए गए. सीएम पद से हटने के बाद सोनोवाल दिल्ली की सियासत में एक्टिव हैं. सोनोवाल इस समय केंद्र सरकार में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री हैं. 

10- बिप्लव कुमार देब

बिप्लब कुमार देब 2018 से 2022 तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे. बिप्लब को चार साल बाद ही सीएम पद से हटना पड़ा था. बिप्लब कुमार देब फिलहाल त्रिपुरा से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं.

 

11- बीएस येद्दियुरप्पा

बीएस येद्दियुरप्पा के नाम दक्षिण भारत के किसी राज्य में बीजेपी के पहले सीएम का गौरव है. वह चार बार कर्नाटक के सीएम रहे. 2021 में बीजेपी ने उनकी जगह बसवराज बोम्मई को सीएम बना दिया था. येद्दियुरप्पा फिलहाल बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य हैं.

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