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IIIT लखनऊ के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया संबोधित, कहा- एआई को साध्य नहीं साधन बनाएं

लखनऊ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को साध्य नहीं साधन बनाएं। साथ ही कहा कि आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस के साथ इमोशनल इंटलिजेंस इंटेलिजेंस भी जरूरी है। इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को ट्रिपल आईटी लखनऊ के दूसरे दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना है। हमारे प्रत्येक निर्णय से अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति लाभान्वित हो। इसके लिए जरूरी है हम महात्मा गांधी के सूत्र ‘रिकॉल द फेस ऑफ पूअरेस्ट’ को अपनाएं। इसमें महात्मा गांधी ने कहा था कि, कोई भी कदम उठाने से पहले आप किसी गरीब का चेहरा याद करें और सोचें कि क्या यह कदम उसके लिए उपयोगी होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें महात्मा गांधी का यह कथन भी याद रखना होगा कि ‘ज्ञान बिना चरित्र के पाप है’। यह आवश्यक है कि एआई प्रयोग के साथ उत्पन्न हुई नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो।

चाहे ऑटोमेशन के कारण उत्पन्न हुई रोजगार की समस्या हो। या आर्थिक असमानता की चौड़ी होती खाई हो। चाहे एआई के परिणाम में मानवीय पूर्वाग्रह हों। हमें हर समस्या केलिए रचनात्मक हल ढ़ूंढने होंगे। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम आर्टिफिशिएल के साथ इमोनशनल इंटेलिजेंस को महत्व दें। एआई साध्य नहीं साधन है। 
उन्होंने छात्रों को सम्बोधित करते हुए एक संस्कृत श्लोक का उल्लेख किया, विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्, पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्, जिसका अर्थ है कि विद्या से विनय और विनय से पात्रता आती है। पात्रता से धन आता है, धन से धर्म आता है और धर्म से सुख प्राप्त होता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप शिक्षा के क्षेत्र में न केवल सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरेंगे बल्कि उत्कृष्टता और सर्वश्रेष्ठता के ऐसे आयाम स्थापित करेंगे जो स्वयं में मापदंड होंगे। इंजीनयिरिंग, टेक्नोलॉजी और बिजिनेस में ट्रिपल आईटी की ओर से प्रदान की जाने वाली शिक्षा प्राप्त करने वाले शैक्षणिक जगत के शीर्ष पायदान पर खड़े हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह संस्थान एआई और उसके अनुप्रयोगों पर केन्द्रित पाठयक्रम वाले विद्यार्थियों को नई तकनीकी के परिदृश्य में आवश्यक कौशल प्रदान करता है। साथ ही कहा कि ट्रिपल आईटी लखनऊ देश का पहला संस्थान है जिसने न्यू एजूकेशन पॉलिसी के विजन को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बिजनेस केलिए एमबीए प्रोग्राम शुरू किया है। आज भारत के पास 5 डी है। डिमांड, डेमोग्रेफी, डेमोक्रेसी, डिजायर और ड्रीम। यह फाइव डी हमारे विकास की यात्रा में अत्यन्त लाभाकारी होगी। हमारी अर्थव्यवस्था जो एक दशक पहले 11वें पायदान पर थी आज पांचवी सबसे बड़ी है। वर्ष 2030 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश की 55 फीसदी से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उमग्र की हैं। हम प्रगतिशील और लोकतांत्रिक देश हैं। हमारा सपना है कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित देश बने। आपका दायित्व है कि न केवल इस विजन के भागीदार बनें, बल्कि इसे पूरा करने केलिए अपना सर्वस्व लगा दें। आपको प्रतिज्ञा करनी होगी कि जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे कर रहा हो तब आने वाली पीढ़ियां एक ऐसे भारत में जन्म लें जो सम्पन्न हो और समृद्ध हो।

 

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