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मध्य प्रदेश में लव जिहाद पर करारी चोट, धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी

Dharm Swatantra Vidhyak m.p:digi desk/BHN/। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लव जिहाद के खिलाफ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लाएगी। इसके प्रस्तावित मसौदे को शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि अधिनियम में सख्त प्रवधान किए गए हैं। इसका उल्लंघन करने पर अधिकतम 10 साल का कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड का प्रवधान किया गया है। कोई भी व्यक्ति प्रलोभन, धमकी, बल प्रयोग या कपटपूर्ण साधन से मत परिवर्तन कराता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह रहेंगे प्रावधान

  • – अधिनियम के विरुद्ध महिला नाबालिक अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के मत परिवर्तन किए जाने पर कम से कम दो साल तथा अधिकतम 10 साल का कारावास तथा कम से कम 50000 रुपए अर्थदंड आरोपित किया जाएगा।
  • – अपना मत छुपाकर अधिनियम के प्रविधानों के विरुद्ध मत परिवर्तन किए जाने पर कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल कारावास तथा कम से कम 50000 रुपए अर्थदंड आरोपित किया जाएगा।
  • – सामूहिक मत परिवर्तन, दो या दो से अधिक का, एक ही समय मत परिवर्तन, जो अधिनियम के प्रविधानों के विरुद्ध होगा, किए जाने पर कम से कम 5 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा कम से कम 100000 रुपए अर्थदंड आरोपित किया जाएगा
  • – एक बार से अधिक अधिनियम के प्रविधान के अंतर्गत अपराध घटित किए जाने पर कम से कम 5 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष का कारावास का प्रविधान किया गया है।
  • – जो भी मत परिवर्तन अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत होगा, उस मत परिवर्तन को शून्य माने जाने का प्रावधान किया गया है।
  • – पैतृक मत में वापसी को इस अधिनियम में मत परिवर्तन नहीं माना गया है। पैतृक मत वह माना गया है जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का मत था।
  • – मत परिवर्तित व्यक्ति उसके माता, पिता या भाई-बहन को पुलिस थाने में इस अधिनियम में कार्यवाही किए जाने के लिए शिकायत करना आवश्यक होगा।
  • – परिवाद के माध्यम से न्यायालय से आदेश प्राप्त कर मत परिवर्तित व्यक्ति के अभिभावक भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
  • – अधिनियम के तहत दर्ज अपराध संज्ञय तथा गैर जमानती होगा और सत्र न्यायालय में ही इसकी सुनवाई हो सकेगी।
  • – मामले की जांच उपनिरीक्षक स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकेगा।
  • – अधिनियम में निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गई है।
  • – अधिनियम के प्रविधानों के विपरीत किए गए विभाग को शून्य मानने का प्रविधान किया गया है।
  • – अपराध में पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे को भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार होगा।
  • – बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रविधान भी शामिल किया गया है।
  • – अधिनियम के प्रविधानों के विरुद्ध मत परिवर्तन कराने वाली संस्था या संगठन के विरुद्ध भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध पर दिए जाने वाले कारावास तथा अर्थदंड के समकक्ष प्रविधान किए गए हैं।
  • – ऐसी संस्थाओं तथा संगठनों के पंजीयन को निरस्त कर दिया जा सकेगा।

 

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