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Supreme Court: ‘बिल को मंजूरी’ मामले में तमिलनाडु-केरल की अपील पर सुनवाई, SEBI के खिलाफ अवमानना याचिका

Supreme court updates governor assent on bill tamil nadu kerala govt appeal sebi contempt case: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कई बड़े मामलों की सुनवाई होगी। इसमें एक अहम अपील तमिलनाडु और केरल सरकार की तरफ से दाखिल की गई है। विधेयकों पर राज्यपाल की मंजूरी मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। अदाणी हिंडनबर्ग विवाद से जुड़ी एक अवमानना याचिका दायर हुई है। विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल पर जानबूझकर ‘देरी’ करने के आरोप लग रहे हैं। तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोनों सरकारों की अलग-अलग याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। दोनों राज्यपालों पर विधानसभाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में संबंधित राज्य के राज्यपालों पर बिना किसी वैध कारण के देरी का आरोप लगाया गया है।

चीफ जस्टिस की पीठ में सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ में याचिकाओं पर सुनवाई होगी। याचिका पर सुनवाई से पहले तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु में कई विधेयकों को  वापस लौटाया। हालांकि, तमिलनाडु विधानसभा ने शनिवार को एक विशेष बैठक में सभी 10 विधेयकों को फिर से अपनाया और मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा। इसमें कानून, कृषि और उच्च शिक्षा सहित विभिन्न विभागों से जुड़े विधेयक हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित विधेयकों को गंभीर चिंता माना
बता दें कि राज्यपाल रवि ने 13 नवंबर को बिल वापस लौटाया था। इससे पहले बीते 10 नवंबर को, विधेयकों को मंजूरी देने में तमिलनाडु के राज्यपाल की तरफ से हो रही कथित देरी को सुप्रीम कोर्ट ने “गंभीर चिंता का विषय” करार दिया था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।

राज्यपाल ने विधेयकों को मंजूरी देने में देर लगाई
शीर्ष अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए इस मुद्दे को सुलझाने में अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहायता मांगी। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, “रिट याचिका में जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे गंभीर चिंता का विषय हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत गृह मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर रही है। पीठ ने कहा था, इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत बयानों से, ऐसा प्रतीत होता है कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास भेजे गए लगभग 12 विधेयकों को मंजूरी नहीं दी गई है। कैदियों की समय से पहले रिहाई के प्रस्ताव और लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति जैसे अहम प्रस्ताव लंबित हैं।

अदाणी हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद, सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अन्य अहम मामला अदालत की अवमानना का है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अपील वाली इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि SEBI ने जांच पूरी करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने में तय समयसीमा का उल्लंघन किया है। मामला अरबपति उद्योगपति गौतम अदानी के समूह की कंपनियों के स्टॉक मूल्य में हेरफेर का है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सेबी को इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपनी थी।

SEBI पर जांच में देरी के आरोप
अवमानना के आरोप वाली जनहित याचिका विशाल तिवारी ने दायर की है। अपने आवेदन में उन्होंने कहा है कि सेबी को जांच के लिए काफी समय मिला, लेकिन इसके बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही। अदालत के निर्देशानुसार SEBI अंतिम निष्कर्ष/रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सकी है। बता दें कि 17 मई, 2023 के आदेश में शीर्ष अदालत ने सेबी को 14 अगस्त, 2023 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।

24 मामलों में 22 की जांच पूरी, दो रिपोर्ट लंबित
हालांकि, अदाणी हिंडनबर्ग मामले में जांच के संबंध में SEBI ने लगभग 11 दिनों के बाद अपनी रिपोर्ट 25 अगस्त, 2023 को दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कुल मिलाकर उसने 24 जांच की हैं। , जिनमें से 22 जांचें अंतिम रूप ले चुकी हैं और दो अंतरिम प्रकृति की हैं।

निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डूबे
अवमानना याचिका में अदाणी समूह और “अपारदर्शी” मॉरीशस फंड के माध्यम से उसके कथित निवेश के खिलाफ संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (ओसीसीआरपी) की नवीनतम रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया है। आवेदन में कहा गया है कि जनहित याचिका का मकसद शेयर बाजार नियामक प्रणाली (SEBI) को मजबूत करना है। यह जानना है कि सेबी को मजबूत बनाने के लिए भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे ताकि निवेशकों की सुरक्षा हो सके और शेयर बाजार में उनका निवेश सुरक्षित रहें। याचिकाकर्ता की दलील है कि अदानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद …. निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डूब गए।”

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