- आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र में होगा मां लक्ष्मी का आह्वान
- प्रदोष काल और महानिशीथ काल मिल रहे
- उदया चतुर्दशी तिथि में कर सकते हैं पूजन
Spiritual vrat tyohar diwali 2023 worship goddess lakshmi in this auspicious time an auspicious coincidence is being created: digi desk/BHN /इंदौर/ सुख, समृद्धि ऐश्वर्य और धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी पूजन की शुभ घड़ी आ गई है। कार्तिक मास की अमावस्या पर रविवार को आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र में घर-घर हरिप्रिया का आह्वान होगा।
ज्योतिषिय गणना के अनुसार दिवाली पर्व के लिए महत्वपूर्ण प्रदोष एवं महानिशीथ काल 12 नवंबर को ही मिल रहे हैं। अतः इस वर्ष दिवाली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 12 नवंबर को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। पर्व काल होने से सम्पूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं।
काली मंदिर खजराना के आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इस वर्ष 12 नवंबर रविवार को दोपहर 02.45 बजे से अमावस्या तिथि लगेगी जो कि दूसरे दिन 13 नवंबर सोमवार की दोपहर 02.57 बजे तक रहेगी। इसके चलते 12 की सुबह चतुर्दशी तिथि होने से रूप-सौंदर्य की कामना से तेल-उबटन से रूप चतुर्दशी का अभ्यंग स्नान भी किया जा सकेगा।
मान्यता है कि अभंग स्नान रोग-शोक और ताप दूर होकर सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी संयोग भी दिन को खास बना रहा है।
महालक्ष्मी पूजन के लिए चौघड़िया
चर : सुबह 8.01 से 9.23 और रात 8.53 से 10.30 बजे तक
लाभ: सुबह 9.24 से 10.46 और रात 1.46 से 3.24 बजे तक
अमृत: सुबह 10.47 से दोपहर 12.08 और शाम 7.15 से 8.53 बजे तक
शुभ : दोप. 01.30 से 2.53 और शाम 5.37 से 7.14 बजे तक।
पूजन के लिए शुभ स्थिर लग्न
वृश्चिक : सुबह 07.02 से 09.18 बजे तक
कुम्भ : दोपहर 01.10 से 02.43 बजे तक
वृषभ : शाम 05.55 से 07.53 बजे तक
सिंह : रात 12.22 से 02.34 बजे तक
शुभ अभिजीत मुहूर्त
सुबह 11.44 से दोपहर 12.32 बजे तक
शुभ प्रदोष वेला
शाम 05.37 से 07.48 बजे तक