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उज्जैन रेप पीडि़ता को नहीं मिली सरकारी आर्थिक सहायता, CM शिवराज और कमलनाथ ने 5-5 लाख देने का किया था एलान


आचार संहिता में मिलना मुश्किल

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ उज्जैन में हैवानियत का शिकार हुई सतना के जैतवारा क्षेत्र की दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग को मिलने वाली मदद चुनावी फेर में फंस गई हैं। हालांकि उज्जैन पुलिस और सतना प्रशासन के अलावा अन्य समाजसेवियों- व्यापारियों ने भी पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद दी है, लेकिन बड़े नेताओं की घोषणाओं की रकम अब तक उस तक नहीं पहुंच पाई हैं।
आचार संहिता में मुश्किल
पीडि़ता को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 लाख रुपयों की मदद का ऐलान किया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने भी कांग्रेस की तरफ से 5 लाख की आर्थिक सहायता करने की घोषणा की थी। लेकिन यह मदद अभी पीडि़त परिवार तक नहीं पहुंची हैं। अब जब प्रदेश में चुनावी बिसात सज चुकी है और आचार संहिता प्रभावी है। ऐसे में अगले कुछ दिनों तक इन दोनों दिग्गज नेताओं की घोषणाओं पर अमल हो पाएगा या नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है। हालांकि पीडि़त परिवार को निजी लोगों ने आर्थिक सहायता जरुर दी है।
नेता ने दिए 1500 रुपए
पीडि़ता के बाबा (दादाजी) का कहना है कि उसे अब तक सरकारी तौर पर मदद नहीं मिली है। बैंक खाते में करीब 3 लाख 76 हजार रुपए हैं, जिसमें से लगभग 77 हजार रुपए पहले से पड़े थे। शेष रकम मदद के रुप में आई है। भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह गहरवार ने 1500 रुपए दिए थे। सीएम शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ ने भी 5- 5 लाख रुपए देने को कहा था, लेकिन वह रकम नहीं मिली। अब तक कलेक्टर भी नहीं आए। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि मेरा घर बन जाए, बोरिंग (ट्यूबवेल) हो जाए।
कलेक्टर ने क्या कहा
सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा का कहना है कि पीडि़ता को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद रेडक्रॉस से की थी। उज्जैन पुलिस ने भी एक लाख रुपए नगद दिए थे। उसके परिवार को राशन भी मिल रहा है। पीडि़ता के परिवार को अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उसके दस्तावेज तैयार कराने की प्रक्रिया चल रही है। हर सम्भव मदद के प्रयास किए जा रहे हैं। अदालत में प्रकरण फाइल होने के बाद पीडि़ता प्रतिकर की राशि भी मिलती है।
अब तक आ चुके हैं 3 लाख से अधिक रुपए
उज्जैन में हुई घटना संज्ञान में आने के बाद से ही पीडि़ता और उसके परिवार की मदद में लगी जैतवारा थाना प्रभारी श्वेता मौर्य ने बताया, पीडि़ता को मदद के तौर पर मिली नगद राशि भी उसके बाबा के संयुक्त बैंक खाते में जमा करा दी गई थी। सरकारी तौर पर मिली रकम के अलावा उसमें कई अन्य लोगों ने भी निजी तौर पर रकम भेजी है। इसके लिए बैंक से क्यूआर कोड जनरेट करवाया गया था। जो भी रकम बैंक खाते में आई है, वह उसी कोड के जरिए आई है। उज्जैन, इंदौर और मुंबई से भी लोगों ने आर्थिक सहयोग किया है। उज्जैन कलेक्ट्रेट से फोन आया था। उन्हें बताया कि बैंक खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले दो दिनों में खाता खुल जाएगा। कोशिश की जा रही है कि जो भी रकम इक्कठा हो, उसमें खर्च के लिए कुछ रकम छोड़कर बाकी राशि की एफडी पीडि़ता के नाम पर करा दी जाए। जो उसे बालिग होने पर मिल सके।
टीआई श्वेता ने बताया कि पीडि़ता का आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार नहीं थे। उन्हें बनवाया जा रहा है। बैंक खाता भी उसके नाम से खोलने के लिए आवेदन दे दिया गया है। उसकी मदद के लिए आने वाला पैसा किसी गलत हाथ में नहीं पहुंचे, इसकी चिंता की जा रही है। पीडि़ता को उज्जैन के महाकाल थाना के टीआई गोद लेने को तैयार हैं। इसके अलावा इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भी बात हुई है। एक अन्य एनजीओ भी उसकी परवरिश के लिए तैयार है, लेकिन उसके परिजन उसे जाने देना नहीं चाहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पीडि़ता की देखरेख की जिम्मेदारी उसके बाबा ही संभालते हैं। पिता मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है

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