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विंध्य में कांग्रेस की फजीहत, पूर्व विस अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ ने छोड़ी पार्टी, उधर भाजपा के पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने दिया इस्तीफा

दोनो दलों में आयाराम गयाराम की स्थिति

रीवा, भास्कर हिंदी न्यूज़/ विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक के आने के साथ प्रदेश की सियासत में ‘आयाराम-गयारामÓ का सिलसिला तेज होता जा रहा है। इसी सिलसिले में बुधवार को विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। सिद्धार्थ बुधवार की सुबह भोपाल में भाजपा के प्रदेश दफ्तर पहुचे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली।
इस मौके पर सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा से प्रेरित होकर यह निणज़्य लिया है। देश और प्रदेश का जो विकास भाजपा के शासनकाल में हुआ है, उसके कारण मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं। आज हर देशभक्त युवा यही बोलेगा कि मोदी जी के नेतृत्व मे देश आगे बढ़ रहा है। सिद्धार्थ ने कांग्रेस के नेताओं पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप भी लगाया।
गौरतलब है कि सिद्धार्थ पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के बेटे हैं। वह 2019 में हुए पिछले आम चुनाव में रीवा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन तब उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

गुनौर के फुंदेलाल भी भाजपा में

बुधवार को ही पन्ना के गुनौर विधायक व दलित नेता फुंदेलाल चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गए।
दलित नेता औऱ गुन्नौर से कांग्रेस के पूर्व विधायक फुंदरलाल चौधरी ने कहा कि हम दलित समाज से आते हैं। हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही। वहां हमारी कोई सुनने वाला नहीं।

सेमरिया के पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने छोड़ी भाजपा

दो महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक अभय मिश्रा का फिर पार्टी से मोहभंग हो गया। उन्होंने बुधवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया। 2008 में अस्तित्व में आई सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा की टिकट से अभय मिश्रा विधायक बने थे। जबकि 2013 में उनकी पत्नी पुन: भाजपा के टिकट से सेमरिया से ही विधायिका चुनी गई थी। 2018 के चुनाव में अभय मिश्रा ने भाजपा छोड़कर रीवा विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर भाजपा के विरूद्ध चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इसी साल 11 अगस्त को उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी।

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