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Pitru Paksha: श्राद्ध पक्ष की शुरुआत, पितरों को ऐसे करें जल अर्पित, जानें सही समय

  1. श्राद्ध में पितरों को याद करते हुए भोजन, पानी, वस्त्र, और अन्य वस्तुएं दान भी की जाती है
  2. पौराणिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है
  3. धार्मिक मान्यता है कि पितरों के आत्मा पितृपक्ष के दौरान पिंडदान के माध्यम से भोजन और वस्त्र का आनंद लेती है

Vrat tyohar pitru paksha 2023 start of shraddha paksha offer water to ancestors like this know the right time: digi desk/BHN/इंदौर/ भाद्रपद महीने में हर साल पितरों का श्राद्ध किया जाता है और इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। श्राद्ध में पितरों को याद करते हुए भोजन, पानी, वस्त्र, और अन्य वस्तुएं दान भी की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि पितरों के आत्मा पितृपक्ष के दौरान पिंडदान के माध्यम से भोजन और वस्त्र का आनंद लेती है और अपनी संतान को आशीर्वाद देती है। पितृपक्ष में पिंडदान करने से पितृ आत्माएं भी संतुष्ट होती हैं।

पितरों को ऐसे करें जल अर्पित
पितृपक्ष के दौरान पितरों को जल अर्पित करते समय भी नियमों का पालन करना चाहिए। व्यक्ति की हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है। इसलिए अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। हमेशा पितरों को जल अर्पण सुबह प्रात: 11:30 से 12:30 के बीच करना चाहिए।

पितृपक्ष की शुरुआत आज से
पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होती है। पितृपक्ष की शुरुआत आज 29 सितंबर से हो गई है, पूर्णिमा तिथि 30 सितंबर को दोपहर 12.21 मिनट तक है।

पिंडदान करने की विधि

पिंडदान करने वाले व्यक्ति को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए।
चावल, दूध, घी, शहद और गुड़ को मिलाकर गोल पिंड बनाना चाहिए।
पिंड बनाने के बाद चावल, कच्चा सूत, दही, दूध और अगरबत्ती आदि सामग्री से पिंड की पूजा करें।
जनेऊ को दाएं कंधे में पहनकर, पितरों का ध्यान करना चाहिए।
आखिर में सभी पिंडों को नदी में विधि-विधान के साथ प्रवाहित करें।
पितृ प्रार्थना मंत्र
पितृभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः .

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः .

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः .

सर्व पितृभ्यो द्ध्या नमो नमः ..

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ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो वः

पितरः शोषाय नमो वः

पितरो जीवाय नमो व:

पीतर: स्वधायै नमो वः

पितरः पितरो नमो वो

गृहान्न: पितरो दत्त: सत्तो वः

श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार पूर्णिमा श्रद्ध
29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार प्रतिपदा श्राद्ध
30 सितंबर 2023 दिन शनिवार द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023 दिन रविवार तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार चतुर्थी श्रद्ध
03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष में करें भगवान विष्णु के इन 108 नामों का जाप

भगवान विष्णु के 108 नाम

1. ऊँ श्री प्रकटाय नमः

2. ऊँ श्री वयासाय नमः

3. ऊँ श्री हंसाय नमः

4. ऊँ श्री वामनाय नमः

5. ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नमः

6. ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नमः

7. ऊँ श्री प्रभवे नमः

8. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः

9. ऊँ श्री परमधार्मिकाय नमः

10. ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नमः

11. ऊँ श्री विराटपुरुषाय नमः

12. ऊँ श्री अक्रूराय नमः

13. ऊँ श्री सुलोचनाय नमः

14. ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नमः

15. ऊँ श्री विशुद्धात्मने नमः

16. ऊँ श्री श्रीपतये नमः

17. ऊँ श्री आनन्दाय नमः

18. ऊँ श्री कमलापतये नमः

19. ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नमः

20. ऊँ श्री महाबलाय नमः

21. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः

22. ऊँ श्री सुरेशाय नमः

23. ऊँ श्री ईश्वराय नमः

24. ऊँ श्री विराट पुरुषाय नमः

25. ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नमः

26. ऊँ श्री चक्रगदाधराय नमः

27. ऊँ श्री योगिनेय नमः

28. ऊँ श्री दयानिधि नमः

29. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः

30. ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नमः

31. ऊँ श्री कमलनयनाय नमः

32. ऊँ श्री शंख भृते नमः

33. ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नमः

34. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः

35. ऊँ श्री हयग्रीवाय नमः

36. ऊँ श्री कपिलेश्वराय नमः

37. ऊँ श्री महीधराय नमः

38. ऊँ श्री द्वारकानाथाय नमः

39. ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नमः

40. ऊँ श्री सप्तवाहनाय नमः

41. ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नमः

42. ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नमः

43. ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नमः

44. ऊँ श्री लोकनाथाय नमः

45. ऊँ श्री वंशवर्धनाय नमः

46. ऊँ श्री एकपदे नमः

47. ऊँ श्री धनुर्धराय नमः

48. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः

49. ऊँ श्री केश्वाय नमः

50. ऊँ श्री धनंजाय नमः

51. ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नमः

52. ऊँ श्री शान्तिदाय नमः

53. ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नमः

54. ऊँ श्री वाराहय नमः

55. ऊँ श्री नरसिंहाय नमः

56. ऊँ श्री रामाय नमः

57. ऊँ श्री शोकनाशनाय नमः

58. ऊँ श्री श्रीहरये नमः

59. ऊँ श्री गोपतये नमः

60. ऊँ श्री विश्वकर्मणे नमः

61. ऊँ श्री हृषीकेशाय नमः

62. ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

63. ऊँ श्री कृष्णाय नमः

64. ऊँ श्री विश्वातमने नमः

65. ऊँ श्री गोविन्दाय नमः

66. ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नमः

67. ऊँ श्री दामोदराय नमः

68. ऊँ श्री अच्युताय नमः

69. ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नमः

70. ऊँ श्री वासुदेवाय नमः

71. ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नमः

72. ऊँ श्री नर-नारायणा नमः

73. ऊँ श्री जनार्दनाय नमः

74. ऊँ श्री चतुर्भुजाय नमः

75. ऊँ श्री विष्णवे नमः

76. ऊँ श्री केशवाय नमः

77. ऊँ श्री मुकुन्दाय नमः

78. ऊँ श्री सत्यधर्माय नमः

79. ऊँ श्री परमात्मने नमः

80. ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः

81. ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नमः

82. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः

83. ऊँ श्री माधवाय नमः

84. ऊँ श्री अनन्तजिते नमः

85. ऊँ श्री महेन्द्राय नमः

86. ऊँ श्री नारायणाय नमः

87. ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नमः

88. ऊँ श्री प्रजापतये नमः

89. ऊँ श्री भूभवे नमः

90. ऊँ श्री प्राणदाय नमः

91. ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नमः

92. ऊँ श्री सुरेशाय नमः

93. ऊँ श्री जगतगुरूवे नमः

94. ऊँ श्री सनातन नमः

95. ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नमः

96. ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नमः

97. ऊँ श्री एकातम्ने नमः

98. ऊँ श्री शत्रुजिते नमः

99. ऊँ श्री घनश्यामाय नमः

100. ऊँ श्री वामनाय नमः

101. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः

102. ऊँ श्री धनेश्वराय नमः

103.ऊँ श्री भगवते नमः

104. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः

105. ऊँ श्री परमेश्वराय नमः

106. ऊँ श्री सर्वेश्वराय नमः

107. ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नमः

108. ऊँ श्री प्रजापतये नमः

पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष के दौरान करें ये काम

करें ये उपाय

  • पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए हमेशा माता-पिता और बड़े-वृद्ध की सेवा करनी चाहिए। सभी का सम्मान करें, किसी को भी अपशब्द न कहें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न रहते हैं।
  • पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन स्नान-ध्यान करने के बाद जल में काला तिल और जौ मिलाकर दक्षिण दिशा में मुख करके पितरों को अर्घ्य दें। इसके साथ ही पितरों को भोजन दें।
  • पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक सोमवार और शुक्रवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक जरूर करें। ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।पितृ पक्ष के दौरान स्नान-ध्यान आदि करने के बाद गंगाजल में काले तिल और बेलपत्र मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। ऐसा करने पर पितृ दोष समाप्त होता है।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए भागवत पुराण का पाठ करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसके लिए आप किसी पंडित से सलाह ले सकते हैं। भागवत पुराण का पाठ करने से पितृ दोष समाप्त होता है।

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