National chandrayaan-3 isro moon mission what will happen after chandrayaan-3 launch: digi desk/BHN/बेंगलुरु/ 14 जुलाई 2023 की तारीख इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। चंद्रयान-3 की दोपहर 2.35 बजे सफल लॉन्चिंग हुई। अब लोगों के मन में कई सवाल है कि आगे क्या होगा। भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) को लॉन्च कर दिया गया है। चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरा। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया है। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट कर शुभकामनाएं दीं और कहा कि आज का दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा।
पीएम मोदी बोले- चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा
चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भर रहा है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं!
वहीं, इस दौरान केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सराकर के 9 साल के कार्यकाल में अब हम केवल रॉकेट लॉन्च करने तक ही सीमित नहीं हैं…दुनिया अब नेतृत्व करने के लिए हमारी ओर देख रही है। पहले दुनिया हमें इस तरह नहीं देखती थी। उन्होंने कहा कि पूरा मिशन स्वदेशी है, यह आत्मनिर्भर भारत के मंत्र पर खरा उतर रहा है। यह आने वाले वर्षों में एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में, एक अग्रणी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में भारत की भूमिका को भी दोहराएगा
आगे की खोज के लिए लैंडिंग महत्वपूर्ण कदम- सोमनाथ
Chandrayaan 3: वहीं, इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान 3 एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है…लैंडिंग बहुत महत्वपूर्ण है। जब तक आप नहीं उतरते, आप नमूने नहीं ले सकते, आप इंसानों को नहीं उतार सकते, आप चंद्रमा के आधार नहीं बना सकते इसलिए आगे की खोज के लिए लैंडिंग एक महत्वपूर्ण कदम है। ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने प्रेस वार्ता करके इस मिशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ सामान्य रहा तो चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को शाम लगभग 5.47 बजे चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमने पहले साल में देखा कि पहले क्या गलती की थी और उसके बाद दूसरे साल में क्या सुधार किया जाए कि ये बेहतर हो। फिर हमने देखा कि और क्या गलती हुई थी क्योंकि कुछ समस्याएं छिपी होती है जो हमने समीक्षा और टेस्ट द्वारा पता लगाया। तीसरे साल हमने सभी टेस्टिंग की और अंतिम साल में हमने अंतिम संयोजन और तैयारी की। मैं इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं।
भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने दी बधाई
Chandrayaan 3: भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने भी भारत और इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि चंद्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण पर भारत और इसरो को बधाई! गर्व है कि ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा डीएसएन इसके लिए संचार का समर्थन कर रहा है।
पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने दी बधाई
Chandrayaan 3: वहीं, चंद्रयान-3 मिशन पर पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने भी इसरो की टीम को बधाई दी है। साथ ही उन्होंने आशा जताई कि हमारे सामने एक बहुत ही सफल मिशन होगा।
स्कूली बच्चों ने जताई खुशी
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पहुंचे स्कूली बच्चों ने चंद्रयान 3 की कक्षा में सफल लॉन्चिंग के बाद अपनी खुशी व्यक्त की। एक छात्र ने इस मौके पर कहा कि मुझे बहुत गर्व है कि हमारे वैज्ञानिक और देश इतना अच्छा कर रहे हैं। यह जीवन में एक बार होने वाला अनुभव था और मुझे ऐसा दोबारा कभी देखने को नहीं मिलेगा। वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा कि मुझे अपने देश पर बहुत गर्व है। मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं।
चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है, लेकिन चांद की तरह पर इसकी लैंडिंग कब होगी? आदि। आइए आगे ऐसे ही सवालों के जवाब जानते हैं।
चंद्रयान-3 क्या है
चंद्रयान-3 साल 2019 में लॉन्च हुए चंद्रयान-2 का अगला चरण है। 4 साल पहले भारत चूक गया था। इस बात इसरो ने एलवीएम-3 लॉन्चर की मदद से चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया।
लैंडर और रोवर का नाम क्या है
चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर है। उनके नाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। चंद्रयान-2 के वक्त लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया था। इस बार भी यही नाम है।
आगे क्या होने वाला है
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हो चुकी है। एलवीएम-3 ने चंद्रयान को पृथ्वी के चारों ओर स्थापित कर दिया है। 175 किमी ऊपर की ओर चंद्रयान के अलग होने की प्रक्रिया शुरु होगी। इसके बाद 176 किमी में सी25 को इग्नाइट किया जाएगा। 179.19 किमी की ऊंचाई पर सैटेलाइट का सेपरेशन होगा।
सैटेलाइट के अलग होने के बाद चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा और चक्कर लगाएगा। इसके बाद डी-बूस्ट होगा। फिर लैंडिंग फेज की शुरुआत की जाएगी। लैंडिंग के बाद रोवर चांद की सतह पर भ्रमण करेगा और डेटा एकत्रित करेगा।
चंद्रयान 3 की लैंडिंग से क्या होगा
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से इसरो चांद पर पानी और खनिज की मौजूदगी पर अध्ययन करना चाहता है। यदि साउथ पोल पर पानी और खनिज मिलता है, तो यह साइंस के लिए कामयाबी होगी। नासा का कहना है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुप पर बर्फ है। यहां खनिज संपदा हो सकती है।