कटनी,भास्कर हिंदी न्यूज़/ कटनी में आदिवासी की जमीन गलत तरीके से अपने बेटे को खरीदवाने के मामले में सेवानिवृत आइएएस अधिकारी अंजू सिंह बघेल के विरुद्ध न्यायालय में केस चलेगा। मामले की जांच कर रहा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) इसी माह न्यायालय में चालान पेश करने की तैयारी में है।
बड़ी बात यह है कि यह मामला पिछले पांच वर्ष (2018 से) से अभियोजन स्वीकृति के लिए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) के पास लंबित था। अब जबलपुर में आदिवासियों की जमीन अवैध ढंग से बेचने के आरोप में वहां बतौर एडीएम रहे तीन आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त में प्रकरण कायम होने पर डीओपीटी भी जाग गया है। डीओपीटी ने मामले में अभियोजन की स्वीकृति दे दी है।
क्या है मामला
कटनी में कलेक्टर रहते अंजू सिंह बघेल ने एक आदिवासी की आठ एकड़ से अधिक जमीन गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति दी थी। इस जमीन की रजिस्ट्री उस व्यक्ति के नाम नहीं हुई, जिसके लिए अनुमति दी गई थी, बल्कि अंजू सिंह बघेल के बेटे अभितेन्द्र सिंह के नाम हुई। इसके बाद पीड़ित आदिवासी ने ईओडब्ल्यू में 2017 में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी जमीन गलत ढंग से बेची गई। उसने आरोप लगाया कि उसे इसका पैसा भी नहीं मिला। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआइआर दर्ज कर अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी।
जमीन की अदला-बदली के मामले में अब भी अभियोजन की स्वीकृति लंबित
अंजू सिंह बघेल का एक और प्रकरण ईओडब्ल्यू में पंजीबद्ध है। इसमें आरोप है उन्होंने एक ठेकेदार को हाईवे किनारे की कीमती सरकारी जमीन देकर उसके बदले में उससे सस्ती जमीन ली थी। इसमें ईओडब्ल्यू ने उनके विरुद्ध कोर्ट में चालान पेश किया। इसके विरुद्ध उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बिना अभियोजन स्वीकृति चालान पेश करने पर प्रश्न उठाए। ईओडब्ल्यू में तर्क दिया गया कि वह रिटायर्ड हो गई हैं, इसलिए स्वीकृति नहीं ली गई थी। न्यायालय ने शासन से अभियोजन स्वीकृति लेने को कहा। ईओडब्ल्यू ने 2017 में प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए शासन को भेजा, पर अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है इस मामले में भी डीओपीटी जल्द अनुमति दे सकता है।