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Satna: हिंदुत्व का चिंतन ही विश्व को शांति प्रदान करेगा: दीपक बिस्पुते


• बीस दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग संघ संपन्न
• गणवेशधारी अनुशासित स्वयंसेवकों ने किया रोमांचक प्रदर्शन
• जहां दिव्यता ही जीवन है, सागर का गाम्भीर्य जहाँ
जो कर्मों की फुलवारी है, नत मस्तक है विश्व महान


सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ ” भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृति है।यह सम्पूर्ण मानव समाज को दिशा देने वाली एवं सबको साथ लेकर चलने वाली संस्कृति है।यह बिल्कुल सत्य है कि हिंदुत्व का चिंतन ही विश्व को शांति प्रदान करेगा। पश्चिमी जगत भी भारत की आध्यात्मिक शक्ति के आगे नतमस्तक है। इसके लिए उसको प्राप्त करने के लिए पहले अपने राष्ट्र को बलशाली होना चाहिए।”
उक्त आशय के विचार स्थानीय उतैली स्थित सरस्वती आवासीय विद्या पीठ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत के विगत 20 दिनों से चल रहे संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष विद्यार्थी श्रेणी के समापन अवसर पर मध्यक्षेत्र प्रचारक दीपक बिस्पुते ने मुख्य वक्ता की आसंदी से व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रांत संघचालक डॉ प्रदीप दुबे जिला संघचालक रामबेटा कुशवाहा एवं वर्गाधिकारी चन्द्रभान पटेल मंचासीन रहे। मुख्य वक्ता श्री बिस्पुते ने कहा कि अनेक प्रकार के आक्रमण भारत में हुए परंतु भारत ने सभी को आत्मसात करके अपनी धारा में मिला लिया। मुगल आक्रमण ने हमारी सभ्यता संस्कृति को नष्ट किया। हमारे प्रमुख संस्थानों को छिन्न भिन्न कर दिया। हमारे महापुरुषों ने अपनी आहुति देकर भी धर्म को बचाए रखा। गुरु तेगबहादुर एवं अन्य गुरुओं ने अपने प्राणोत्सर्ग करके भी धर्म को अक्षुण्य रखा। हमारी शिक्षा पद्धति पर हमले हुए।काले अंग्रेज बनाने का षड्यंत्र रचा गया।अपनी संस्कृति जीवन मूल्यों से काटने का काम हुआ।

अनेक आक्रमणों को सहने के कारण और मुगल आक्रमण से हमारे समाज मे अनेक कुरुतियाँ निर्मित हो गई। समाज विखण्डित हो गया जिससे हमें अपने स्वाभिमान का विस्मरण हो गया। ऐसी परिस्थितियों में महर्षि अरविंद स्वामी विवेकानंद और अनेक महापुरुषों ने भारत की आराधना पर ध्यान केंद्रित किया और जनजागरण किया। पूरे देश मे भारत के सपूत खड़े हो गए। वीर सावरकर भगतसिंह सुखदेव राजगुरू मदनलाल धींगड़ा, टंट्या मामा शंकरशाह रानी दुर्गावती सहित अनेक महान लोग हमारी संस्कृति बचाने खड़े हुए।
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार ने संघ प्रारंभ किया। उनका एक ही उद्देश्य था कि आत्मविस्मृति से निकालकर भारत को स्वतंत्र कराना और मात्र इतना ही नहीं बल्कि भारत को पुनः विश्वगुरु के श्रेष्ठ आसन पर विराजित करना। इसीलिए संघ अपनी स्थापना के बाद से सतत कार्यशील है। क्षेत्र प्रचारक ने कहा संघ का एक विकास क्रम भी हुआ है। पहले संघ के अनेक स्वयंसेवक निर्माण हुए फिर ऐसे संकल्पबद्ध स्वयंसेवकों ने विविध संगठनों एवं क्षेत्रों में जाकर व्यवस्था परिवर्तन का कार्य किया। डॉ हेडगेवार जी के संकल्प को पूरा करने के लिए आज संघ समाज को साथ मे लेकर और समाज के साथ मिलकर सम्पूर्ण समाज को परिवर्तित कर भारत को विश्वगुरु की ओर ले जाने की प्रक्रिया में चल रहा है। छः गतिविधियों के माध्यम से संघ के स्वयंसेवक यह कार्य कर रहे हैं। ग्राम विकास गौसेवा धर्मजागरण समन्वय सामाजिक समरसता पर्यावरण और कुटुंब प्रबोधन संघ की गतिविधियां हैं। इन क्षेत्रों में सकारात्मक कार्य करने वाली अनेक संस्थाएं समाज मे हैं। उन सबके साथ मिलकर सबके अंदर राष्ट्रीय भाव भरना ही संघ की भूमिका है जिससे अपना राष्ट्र पुनः सर्वश्रेष्ठ आसन पर विराजित हो। उन्होंने कहा भारत क्षात्रतेज सबको प्रेरणा दे रहा है। अपमान उपहास विरोध सहकर भी संघ बढ़ता गया। जिस संघ के लिए भारतवर्ष में एक इंच भी भगवा लहराने की अनुमति नहीं थी वहां स्वयंसेवकों ने संकल्प लिया कि इसी भारत के एक-एक इंच पर भगवा लहराएंगे।

गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने किया शारीरिक प्रदर्शन: प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने रोमांचक शारीरिक प्रदर्शन किए। सर्वप्रथम घोष के साथ ध्वज की मानवंदना प्रदक्षिणा हुई। गण समता दंड संचालन यष्टि प्रयोग नियुद्ध पद विन्यास दंड युद्ध के साथ ही सामूहिक समता व्यायाम योग आसन व सामूहिक गीत के मनोहारी प्रदर्शन हुए। समता समरसता एकाग्रता अनुशासन के साथ ही शौर्य साहस स्वाभिमान संयम के साथ एकत्व के भाव जागरण ऐसे शारीरिक प्रदर्शनों से होते हैं।

वर्ग का प्रतिवेदन

वर्ग कार्यवाह रवींद्र पटेल ने प्रशिक्षण वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि 23 मई से संघ शिक्षा वर्ग प्रारंभ हुआ। इसमें महाकौशल प्रांत के दस विभाग के 34 जिलों से कुल 256 शिक्षार्थी सहभागी हुए।कुल 168 स्थानों से 85 नगरीय क्षेत्र एवं 171 ग्रामीण क्षेत्र से शिक्षार्थी शामिल हुए। कक्षा दस से स्नातकोत्तर विद्यार्थी व शोधार्थी शामिल हुए।प्रशिक्षण वर्ग में स्वयंसेवक अपनी व्यस्त दिनचर्या में प्रातः चार बजे जागरण से लेकर रात्रि दस बजे दीप निर्वाण तक विद्यार्थी शारीरिक बौद्धिक सेवा आदि विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमो के माध्यम से एक अच्छे कार्यकर्ता व देशभक्त नागरिक होने के गुण प्राप्त किए। समापन कार्यक्रम में मध्यक्षेत्र प्रचारक प्रमुख शिवराम समदरिया क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाशचंद प्रांत प्रचारक बृजकांत प्रांत कार्यवाह सुनील देव सह प्रांत कार्यवाह उत्तम बनर्जी सह प्रांत कार्यवाहक अनिरुद्ध कौरवार पालक अधिकारी कौशलेंद्र प्रांत बौद्धिक प्रमुख दिनेश सिंह सह बौद्धिक प्रमुख उमेश मिश्रा प्रांत शारीरिक प्रमुख गंगा राजू एवं पूर्व क्षेत्र संघचालक श्रीकृष्ण माहेश्वरी विभाग प्रचारक संजय सर्व व्यवस्था प्रमुख लक्ष्मीकांत द्विवेदी विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन माहेश्वरी विभाग व्यवस्था प्रमुख संजय गुप्ता सहित सतना जिले से बड़ी संख्या में स्वयंसेवको के अलावा हजारों की संख्या में समाज के प्रबुद्ध नागरिक जन मातृशक्ति भी सहभागी हुए। आभार सर्वव्यवस्था प्रमुख लक्ष्मीकांत द्विवेदी ने किया।

मातृशक्ति ने प्रतिदिन बनाकर खिलाई गर्म रोटियाँ

ममत्व अपनत्व व समत्व की भूमिका निभाते हुए शहर की 1256 मातृशक्ति ने पूरे इक्कीस दिन बयालीस पालियों में वर्ग स्थल पर जाकर रोटी बनाने का कार्य किया। नगर के विभिन्न वार्डों से सामूहिक रूप में आकर यह रोटियाँ बनाने का अनूठा कार्य किया।

समाज ने किया वर्ग दर्शन

प्रशिक्षण वर्ग में संघ की रीति नीति जानने समझने व व्यवस्थाओं के अवलोकन के लिए वर्ग दर्शन का अभिनव प्रयोग भी हुआ। समाज की विभिन्न श्रेणियों से अलग अलग दिन 518 लोगों ने मातृशक्ति सहित वर्ग में पहुँचकर यहाँ की व्यवस्था व कार्यप्रणाली को देखा व समझा। चिकित्सक प्राध्यापक इंजीनियर व्यवसायी मीडिया बंधु जाति बिरादरी के बंधु ऑटोचालक सहित विभिन्न श्रेणियों के लोगो ने वर्ग दर्शन किया। वर्ग स्थल पर जनमानस के अवलोकनार्थ प्रदर्शनी भी लगाई गई। पूर्व प्रचारकों के चित्र व जानकारी, रामपथ गमन,पर्यावरण प्रकल्प एवं संविधान के साथ ही प्रचार विभाग के कार्यों की जानकारी देने वाली इस प्रदर्शनी को सभी ने सराहा।

इस अवसर पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा प्रदेश सरकार के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, रामखेलावन पटेल, पूर्व मंत्री एवं विधायक राजेंद्र शुक्ल, जिला कलेक्टर अनुराग वर्मा, कमिश्नर राजेश शाही, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा कुलपति डॉ राजकुमार आचार्य ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति डॉ भरत मिश्रा उपस्थित रहे।

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