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MP: सृष्टि नहीं बच सकी लेकिन छतरपुर में एक तकनीक ने बोरवेल से दो बच्‍चों को बचाया, डाक्‍युमेंट्री यू-ट्यूब पर

Madhya pradesh gwalior chhatarpur police prepared a documentary for purpose of saving children who fell in borewell: digi desk/BHN/भोपाल/ ग्वालियर खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। बीते दिनों छतरपुर पुलिस ने एक तकनीक के सहारे दो बच्चों को बोरवेल से सकुशल निकाल लिया था। बचाव दल के लोग इससे कुछ सीख सकें, इस उद्देश्य से अब इसे साझा करने के लिए डाक्यूमेंट्री भी तैयार करवाई है। यह यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध है। इसमें लोगों से यह अपील की गई है कि वे बोरवेल को खुला नहीं छोड़ें। तकनीक बहुत ही सरल है और इसमें खास संसाधनों की जरूरत भी नहीं है।

क्‍या है इस डाक्‍युमेंट्री में

डाक्यूमेंट्री में छतरपुर के तत्कालीन एसपी ने विस्तार से इसके बारे में बताया है। उनके अनुसार बोरवेल में फंसे बच्चे को निकालने में सूती रस्सी का उपयोग किया जाना चाहिए। रस्सी के सिरे पर सरफून गांठ (ऐसा फंदा जो खींचने पर कसता जाए) लगाया जाता है। इसका तरीका भी बताया गया है। बोरवेल में फंसे बच्चे की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी कर सरफून गांठ वाली दो रस्सी बोरवेल में डाली जाती है।

एक रस्सी से बच्चे को तकलीफ हो सकती है। पकड़ भी कमजोर रहती है। बच्चे से संवाद किया जाता है और उससे फंदे में हाथ डालने के लिए कहा जाता है। बच्चा हाथ फंदे में डाल ले तो उसकी सीसीटीवी कैमरे से निगरानी करते हुए धीरे-धीरे से खींचते हैं।

इससे फंदा बच्चे के हाथ में कस जाएगा। फंदा कसने के बाद एक या दो मिनट रस्सी ढीली छोड़ दी जाती है। फिर दोनों रस्सी एक साथ धीरे-धीरे खींचते हैं। छतरपुर में दो बार बोरवेल में फंसे बच्चे इसी तरह बाहर निकाले गए हैं।

बचाव दल रखें ये सावधानियां

रक्षित निरीक्षक कैलाश कुमार पटेल बताते हैं बोरवेल में फंसे बच्चे के रेस्क्यू में बेरिकेडिंग कर लोगों की आवाजाही कम की जानी चाहिए। बोरवेल में पाइप से आक्सीजन पहुंचाना जरूरी है। डाक्यूमेंट्री में इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया है। तकनीक की कुछ सीमाएं भी इस तकनीक की कुछ सीमाएं भी हैं।

पटेल कहते हैं बोरवेल में फंसे बच्चे से संवाद बहुत जरूरी है। वह हाथ उठाकर बोलता है तो समझ जाते हैं कि बच्चा सक्षम है। सीसीटीवी कैमरे से पूरी स्थिति जानने के बाद बोरवेल में सरफून गांठ वाली दो सूती रस्सियां डाली जाती हैं। यानी बच्चे का चैतन्य होना और हाथ ऊपर होना जरूरी है।

इन बच्चों को निकाला गया

– 26 फरवरी, 2023 को बिजावर थाने के ललगुवां गांव में तीन वर्षीय नैंसी विश्वकर्मा पुत्री रवि विश्वकर्मा को

– 29 जून, 2022 को ओरछा रोड थाना क्षेत्र के नारायणपुरा गांव के पास अखिलेश यादव के पांच साल का बेटे दीपेंद्र यादव को

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