Laddu gopal puja niyam if you worship laddu gopal at home then first know these rules: digi desk/BHN/जयपुर/ लगभग सभी के घरों में लड्डू गोपाल विराजते ही है। ऐसे में उनके पूजन को लेकर तरह-तरह के सवाल लोगों के मन में उठते है कि आखिर कैसे लड्डू-गोपाल का पूजन किया जाए। उनके पूजन में कोई त्रुटि न हो इसके लिए अक्सर लोगों के मन में ऐसे सवाल आ ही जाते है।ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आपको लड्डू गोपाल का पूजन करना है और कैसे उन्हें आप प्रसन्न रख सकते हैं। कई लोग इसी वजह से घर में लड्डू गोपाल को स्थापित भी नहीं कर पाते है, तो आइए जानते है कि कैसे लड्डू गोपाल को घर में स्थापित करें और कौन सा दिन इस काम के लिए शुभ रहता है।
स्थापना और पूजन विधि
लड्डू गोपाल को स्थापित करने के लिए सबसे अच्छा दिन जन्माष्टमी का माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लड्डू गोपाल को मंदिर में स्थापित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही लड्डू गोपाल को स्थापित करने के बाद प्रतिदिन स्नान करवाना चाहिए। इसके लिए दूध,दही, शहद, गंगाजल और घी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इससे लड्डू गोपाल प्रसन्न होकर इच्छा पूर्ति करते है।
वस्त्र बदलें, टीका लगाएं
रोजाना लड्डू गोपाल को स्नान करवाने के बाद उन्हें किसी नन्हें शिशु की तरह तैयार करना चाहिए। इसके लिए प्रतिदिन उनके वस्त्र बदलने चाहिए और उन्हें चंदन का टीका जरूर लगाना चाहिए।
दिन में चार बार लगाएं भोग
लड्डू गोपाल को दिन में चार बार भोग लगाना चाहिए। कान्हा जी को माखन मिश्री बहुत प्रिय है। ऐसे में आप उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाकर भी प्रसन्न कर सकते है।
रोजाना आरती करें
रोजाना बाल गोपाल का पूजन करना चाहिए। कहा जाता है कि नियमित रूप से दिन में चार बार बाल गोपाल का पूजन करना चाहिए। इससे बाल गोपाल प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करते है।
झूला झुलाएं
ऐसा माना जाता है कि आरती के बाद भोग लगाएं और उसके बाद लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। इस दौरान बाल गोपाल के झूले में लगे पर्दे को लगाना न भूले।
घर में कभी न छोड़े अकेला
बाल गोपाल को घर का सबसे छोटा सदस्य माना गया है। ऐसे में उन्हें घर में कभी भी अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। कहा जाता है कि जैसे छोटे शिशु को अकेला नहीं छोड़ा जाता है। वैसे ही बाल गोपाल को भी घर में अकेले नहीं छोड़ा जाता है।
प्रेम भाव करें अर्पित
बाल गोपाल घर के सबसे छोटे सदस्य है। ऐसे में उन्हें प्रेम भाव अर्पित करें। उन्हें किसी नन्हे बालक की तरह प्रेम भाव अर्पित करना चाहिए।