National gujarat riots know who is former minister gynecologist maya kodnani in whose defense amit shah also gave statements: digi desk/BHN/अहमदाबाद/ गुजरात में अहमदाबाद की एक विशेष कोर्ट आज साल 2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार के मामले में फैसला सुना सकती है। साल 2002 में जब गोधरा कांड के बाद दंगे भड़के थे तो नरोदा गांव में सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में गुजरात की पूर्व मंत्री और कई बार भाजपा विधायक रह चुकी माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था। सबसे अहम बात ये है कि बीते कई सालों से चल रही सुनवाई के दौरान ही 86 में से 18 आरोपियों की मौत हो चुकी है।
गुजरात में मंत्री रह चुकी है माया कोडनानी
साल 2002 के गुजरात दंगों की बात होती है तो माया कोडनानी का नाम हमेशा उछलकर सामने आता है। माया कोडनानी गुजरात भाजपा में तब एक बड़ा नाम था और भाजपा से 3 बार की महिला विधायक रह चुकी थी। इसके जब गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी रही थी।
दंगों में ऐसे आया माया कोडनानी का नाम
गोधरा कांड के विरोध में गुजरात में जब बंद का आह्वान किया गया था तो नरोदा पाटिया इलाके में हिंसा भड़क गई थी। तब यह आरोप लगाया गया था कि हत्या करने वाली भीड़ का नेतृत्व कोडनानी ने किया था। हालांकि साल 2002 के दंगों के एक केस में हाईकोर्ट माया कोडनानी को बरी भी कर चुकी है। वहीं बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की सजा को आजीवन कारावास से कम कर 21 साल कर दिया था। इस मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह माया ने भी माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। अमित शाह ने माया कोडनानी के बचाव में बयान दिया था कि पुलिस उन्हें और माया को सुरक्षित जगह ले गई थी क्योंकि गुस्साई भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया था।
सिंध प्रांत से भारत आया था माया का परिवार
माया कोडनानी का परिवार भारत पाक बंटवारे के दौरान सिंध प्रांत से गुजरात में रहने आ गया था। माया कोडनानी पेशे से एक गाइनकॉलजिस्ट थी और हिंदुत्व की ओर झुकाव के कारण RSS से भी जुड़ गई थी। माया नरोदा में ही अपना एक मैटरनिटी अस्पताल चलाती थी और स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थी। अपने ओजस्वी भाषणों के कारण वे भाजपा में लोकप्रिय हो गई और 1998 तक वो नरोदा से विधायक बन गईं। 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी शानदार जीत हासिल की और साल 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी फिर जीत गईं और गुजरात सरकार में मंत्री भी बन गईं।
साल 2009 से शुरू हुआ बुरा दौर
साल 2009 में जब नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एक विशेष टीम को नियुक्त किया और उन्हें पूछताछ के लिए समन किया। इसके बाद से ही माया कोडनानी की मुसीबत बढ़ती गई। नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गिरफ्तारी के बाद उन्हें पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि जल्द ही वे जमानत पर रिहा भी हो गई। 29 अगस्त 2012 में आखिरकार कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी करार दिया था।
नरोदा मामले में भी बाबू बजरंगी भी बड़ा नाम
गुजरात दंगों को लेकर उम्र कैद की सजा काट रहे बाबू बजरंगी को बाबूभाई पटेल के नाम से भी जानते हैं। माया कोडनानी के साथ में बाबू बजरंगी भी इस मामले में आरोपी हैं। बाजू बजरंगी गुजरात में बजरंग दल का वरिष्ठ नेता है। बाबू बजरंगी को दंगा भड़काने और अन्य धाराओं में दोषी मानते हुए निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
ऐसा था पूरा घटनाक्रम
25 फरवरी, 2002
अयोध्या के 2000 से ज्यादा कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस से अहमदाबाद रवाना हुए।
27 फरवरी, 2002
गोधरा में 4 घंटे देरी से पहुंचने के बाद साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन का घेराव कर भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। ट्रेन में सवार 59 कारसेवकों की मौत हो गई।
28 फरवरी, 2002
साबरमती हादसे के बाद VHP ने इस हत्याकांड के खिलाड़ बंद का आह्वान किया। बंद के दौरान उग्र भीड़ ने नरोदा पाटिया में हमला कर दिया, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई।
साल 2009 में मुकदमा शुरू
नरोदा पाटिया मामले में साल 2009 में मुकदमा शुरू हुआ। 62 आरोपियों में से 31 लोगों को दोषी करार दिया गया और 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। 29 आरोपियों को बरी कर दिया था।
2012 में माया भी दोषी करार
अगस्त 2012 में SIT मामलों के लिए विशेष कोर्ट ने इस केस में 32 अन्य आरोपियों समेत माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और मामले का षड्यंत्र रचने का दोषी पाया।
2018 में माया कोडनानी को राहत
हाईकोर्ट से माया कोडनानी को राहत मिली। इसके पीछे अमित शाह की गवाही ने मुख्य भूमिका निभाई। बाबू बजरंगी हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली।