Vrat tyohar chaitra navratri 2023 day 2 mata brahmacharini mantra arti vrat katha puja vidhi: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ चैत्र नवरात्रि शुरु हो गई है और गुरुवार, 23 मार्च को माता के दूसरे स्वरूप की पूजा होगी। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की जाती है। इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और शुद्ध आचरण के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। इनकी पूजा से खास तौर पर साधना करनेवालों, विद्यार्थियों या तपस्वियों को विशेष लाभा होता है। अगर आप अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति से पूरे मनोयोग से परिश्रम कर रहे हैं, उचित आचरण और आहार-विहार का अनुसरण कर रहे हैं, तो माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से आपकी मनोकामना जल्द पूरी हो सकती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी मां ब्रह्माचारिणी की पूजा, शुभ फल की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का करें जाप
23 मार्च 2023 को मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं मां ब्रह्माचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि।
पूजा का मुहूर्त
23 मार्च को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि के दूसरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।
मां ब्रह्मचारिणी के प्रिय फूल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल, कमल, श्वेत और खुशबूदार फूल पसंद हैं। मां को इन फूलों को अर्पित करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है।
प्रिय भोग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन माता को चीनी का भोग लगाना चाहिए। मां को दूध से बने व्यंजन भी अति प्रिय होते हैं। ऐसा करने से आपको लंबी आयु का आशीष मिलता है।
मां ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करने के बाद मां दुर्गा जी का गंगा जल से स्नान कराएं। मां को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें। माता का ध्यान करते हुए दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अब माता की आरती एवं स्तुति कर घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
माता का स्वरूप
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में अक्षमाला और बाएं हाथ में कमण्डल है। माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना एवं आराधना करने से भक्तों को अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती हैं। साथ ही आचरण में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार इत्यादि की वृद्धि होती है। इनकी कृपा से जीवन में आ रही तमाम परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं।
कैसे पड़ा ब्रह्मचारिणी नाम
मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इन्होंने जंगल में जाकर 3000 वर्ष तक वृक्षों से गिरे सूखे पत्तों को खाकर कठिन तपस्या की। इतने कठोर तप और नियमों का पालन करने की वजह से इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां का यह स्वरूप तप और शुद्ध आचरण को दर्शाता है।
माता का मंत्र
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न मंत्र के माध्यम से की जाती है –
- दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
- देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
- (अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)
कैसे करें प्रसन्न
इस दिन माता के मन्त्रों के साथ चन्द्रमा के मंत्रों का जाप भी करें। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिक्षा तथा ज्ञान के लिये मां सरस्वती की उपासना भी करनी चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी अर्थात शक्कर का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके अतिरिक्त आप किसी भी सफेद खाद्य पदार्थ का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से आयु में वृद्धि का वरदान मिलता है। इसके अलावा, मां को वट वृक्ष यानी कि बरगद के पेड़ का फूल अत्यंत भाता है। मां ब्रह्मचारिणी भले ही श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं लेकिन उनका प्रिय रंग लाल है। इसलिए माता को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। माता को चांदी की वस्तु भी समर्पित करना शुभ माना जाता है।