होमियोपैथी चिकित्सा के प्रसिद्ध डॉक्टर ज़ीशान अहमद से “भास्कर हिंदी न्यूज़” की खास बातचीत
- -डॉ ज़ीशान ने होमियो पद्धति को दी नई पहचान
- होमियोपैथी दवाइयों से करते हैं गम्भीर बीमारियों का उपचार
- प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार, सायरा बानो एवं जॉनी लीवर का कर चुके हैं उपचार
- हजारों मरीज ठीक कर चुके हैं डॉ.ज़ीशान अहमद
- पेंड्रा रोड, बिलासपुर और रायपुर में देते हैं सेवाएं
- कैंसर जैसे असाध्य रोग के रोगी भी हो रहे ठीक
- ब्रेन हेमरेज, पैरालिसिस, ग्लूकोमा एवं विजन लॉस जैसी बीमारियों में दवाइयों का चमत्कारिक लाभ
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ सतना, रीवा, चित्रकूट तथा आसपास के क्षेत्र में बीते कई साल¨से यह नाम चर्चा में है। असाध्य रोगों से पीड़ित मरीज¨के लिए यह नाम किसी ‘देवदूत’ जैसा साबित हो रहा है। आश्चर्य का विषय यह है कि जिन असाध्य रोगियों के लिए एलोपैथी चिकित्सा पद्धति ने हाथ खड़े कर दिये उन असाध्य रोगियों को डॉ.ज़ीशान अहमद ने 200 साल पुरानी होमियोपैथी चिकित्सा से पूरी तरह ठीक कर दिया। लाइलाज बीमारिय¨से ग्रस्त गंभीर मरीज जो अब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं शायद इसीलिए डॉ.ज़ीशान को ‘देवदूत’ की संज्ञा देते हैं। विंध्य में जब डा. जीशान का नाम चर्चा में आया तब “भास्कर हिंदी न्यूज” उनसे संवाद करने छत्तीसगढ़ के पेंड्रा रोड स्थित उनके निवास पर पहुंचा। डा. जीशान के दवाखाने के बाहर लगे स्लोगन और कई राज्यों से आये मरीजों को देखकर लगा कि जब होमियोपैथी चिकित्सा साबूदाने जैसी मीठी गोलियों में सिमट कर रह गई थी, उसे डॉ.जीशान ने आसमान की ऊँचाइयों तक पहुंचाने की जिद ठान रखी है और वे इसमें सफल भी हैं।
लंदन से BHMS में PG करने के बाद होमियोपैथी में की गई उनकी रिसर्च से तैयार दवाइयों ने गंभीर रोगियों के जीवन को एक नई दिशा दी है। कैंसर, ब्रेन हेमरेज, पैरालिसिस, न्यूरो प्राब्लम, ट्यूमर,ग्लूकोमा, केटरेक्ट, मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों¨से लेकर हर तरह के रोगों से ग्रस्त मरीज अपनी समस्याएं लेकर डॉ.ज़ीशान के पास पहुंचते हैं और दवाइयों से उन्हें चमत्कारिक लाभ मिल रहा है।
सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक तकरीबन रोज मरीजों से घिरे रहने के बावजूद डॉ.ज़ीशान के चेहरे पर तनाव का नामों-निशान तक नजर नहीं आता। जब उनसे पूछा गया कि हमेशा आपके ‘कूल’ रहने का आखिर राज क्या है? तो उन्होंने मुस्कुराते हुए क्लीनिक के कंपाउंड में लगे बोर्ड में लिखे स्लोगन की तरफ इशारा कर दिया, जिस पर लिखा था कि “कौन किस धर्म का है इससे मुझे न तो¨मतलब है और ना कोई फर्क पड़ता है। मेरे और मेरी टीम के लिए किसी दुखी के होठों पर मुस्कान लाना ही सबसे बड़ा धर्म है।
विख्यात अभिनेता दिलीप कुमार, जॉनी लीवर. सायरा बानो का भी क़र चुके हैं उपचार
होमियोपैथी के विख्यात चिकित्सक डॉ ज़ीशान बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार, सायरा बानो समेत कई सेलिब्रिटीज़ का ट्रीटमेंट कर चुके हैं। हास्य अभिनेता जॉनी लीवर तो उनके खास दोस्तों में शुमार हैं। डॉ. ज़ीशान की चिकित्सा के फैन युवा अभिनेता, क्रिकेटर एवं राजनितिक हस्तियां भी हैं जो समय-समय पर उनसे चिकित्सा परामर्श लेते हैं।
प्रस्तुत है डॉ.ज़ीशान से बातचीत के कुछ अंश-
सवाल- डॉ.जीशान जी, मरीज¨का दर्द सुनते-सुनते तमाम परेशानिय¨के बीच भी आप अपने आप को कैसे इतना शांत चित्त रख पाते हैं?
जवाब- मेरे लिए दीन-दुखियों की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। मैं इस कार्य को अपना धर्म मान कर करता हूं और जब मरीज दवाइयों से ठीक हो जाता है तो¨उसकी मुस्कुराहट मेरे लिए ‘संजीवनी’ बन जाती है, इसलिए हर मरीज का दर्द खत्म करना मेरी प्राथमिकता में शामिल है। एक चिकित्सक होने के नाते यदि मैं स्वयं अशांत रहूंगा तो मरीज की तकलीफ को कैसे समझ सकूंगा?
सवाल- लोग कहते हैं कि आपकी दवाइयों में कुछ जादू है जो गंभीर मरीजं पर तुरंत असर करती है?
जवाब- जी, ऐसा बिलकुल भी नहीं है न तो इन दवाइयों में कोई जादू है और न ही चमत्कार। यह टोटल सांइस है। मैनें तो बस इसी साइंस को अध्ययन के दौरान समझने की कोशिश की है। मेरी थोड़ी सी मेहनत, ऊपर वाले पर भरोसा और माता-पिता के आर्शीवाद के सहारे लोगों की चिकित्सा करता हूं और लोग ठीक हो रहे हैं।
सवाल- आज के समय में हर शहर, हर गली में किराने की दुकान की तरह होमियोपैथी की दुकानें खुली मिल जायेंगी परंतु बावजूद इसके मरीज को फायदा क्यूं नहीं हो पाता?
जवाब- होमियोपैथी चिकित्सक पूरी गंभीरता से अध्ययन करें, दवाइयों की ‘प्रकृति’ और मरीज की ‘प्रवत्ति’ को ध्यान में रख कर चिकित्सा करेंगे तो सभी के मरीज ठीक होंगें।
सवाल- होमियोपैथी के बारे में कई मिथक पुराने समय से ही चले आ रहे हैं कि इस तरह की दवाइयों से मरीज को तुरंत लाभ नहीं होता अपितु पहले रोगी की तकलीफ और बढ़ जाती है इसके बाद वह लंबे समय तक दवाइयां खाए तब ठीक होता है?
जवाब- जी, नही। ऐसा कतई नहीं है। होमियोपैथी 200 साल पहले जितनी कारगर थी, आज भी उतनी ही प्रभावशाली है। मैं इंज्युरी का उपचार भी करता हूं, और मरीज पूरी तरह से ठीक हुए हैं। अगर ऐसा होता तो चोट खाए मरीज मेरे पास क्यों आते?
सवाल- आप पेंड्रा, बिलासपुर, रायपुर एवं बीच-बीच में सेमिनार तथा अन्य क्षेत्रों में आयोजित निशुल्क कैंप में भी सेवाएं देते हैं, इतना समय कैसे निकाल पाते हैं आप?
जवाब-जी, बस मरीज¨को ठीक करने का जुनून है, समय अपने आप निकल आता है।
सवाल-आपसे मुलाकात के पूर्व मैनें यह भी सुना था कि आप मरीजों को महंगी दवाईयां देते हैं, परंतु यहां हमने देखा कि गंभीर मरीजों को भी आप 2-2 महीनें की दवाईयां मात्र 200 से 400 रुपये तक में उपलब्ध करा रहे हैं?
जवाब- जो आपने सुन रखा है उसका जवाब यहां सामने प्रत्यक्ष है। बाकी आप भी जानते हैं कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। हमारा प्रयोजन सेवाभावी है और जब सेवा ‘धर्म’ बन जाता है तो रुपए-पैसे न तो कोई कारण बनते हैं और न बाध्यता। ठीक हो चुके मरीजों की मुस्कुराहटें हीं हमारे लिए अमूल्य निधि है।
(डॉ.ज़ीशान अहमद से विस्तृत बातचीत आप “भास्कर हिंदी न्यूज” के ‘यू-ट्यूब” चैनल पर देख सकते हैं)